आवाज़ ए हिमाचल
विनोद चड्ढा, कुठेड़ा (बिलासपुर)
10 जुलाई।श्री नयना देवी जी विस क्षेत्र की ग्राम पंचायत स्वाहण के गांव खैरियां में शनिवार को श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ हो गया। आयोजकों द्वारा इस दौरान शोभायात्रा निकाली गई। विधिवत मंत्रोच्चारण व बैंड बाजे के साथ पवित्र श्रीमद भागवत कथा ग्रंथ को सादर आयोजन स्थल तक लाया गया। आयोजन स्थल पर पावन ग्रंथ को प्रतिस्थापित करने के बाद पहले दिन प्रवचनों की अमृत बयार बहाते हुए प्रसिद्ध कथावाचक पंडित सुरेश भारद्वाज ने किसी भी पूजा अनुष्ठान में सर्वप्रथम होने वाले गणपति पूजन महत्व के बारे में बताया। पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि त्रिलोकी के स्वामी भगवान शंकर के लिए भी गणपति महाराज प्रथम पूज्यनीय थे। भगवान ने स्वयं यह वरदान उन्हें दिया था तथा वे एक बार इस बात की अवहेलना कर विपति का शिकार हुए। सर्वप्रथम भगवान शिव ने ही गणेश पूजन किया था। इस अवसर पर पंडित सुरेश भारद्वाज ने एक रोचक प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान शंकर द्वारा गणेश जी का शीश काटा गया तो काफी बवाल मचने के बाद माता पार्वती को शंकर ने वचन लिया कि सबसे पहले हमारे पुत्र गणपति की पूजा होगी तभी इसका लाभ सर्वजन को मिलेगा। उन्होंने बताया कि भगवान शंकर जब त्रिपुरासुर नामक राक्षस के साथ युद्ध करने के लिए रणभूमि में गए तो उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कैलाशपति जी के रथ का पहिया तक टूट गया और वह घायल भी हो गए थे। ऐसे में कैलाश पर्वत पर वापिस आकर माता पार्वती ने शंकर ने सारा वृतांत सुनाया तो माता पार्वती ने कहा कि आप बिना गणपति पूजन के युद्ध में गए थे, इसीलिए आपको विपत्तियों का सामना करना पड़ा। इसलिए अपने वचन का पालन करें। भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर बड़ी धूमधाम से गणपति पूजन उत्सव किया और तत्पष्चात त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर उन पर विजय प्राप्त की। भगवान शिव ने कहा कि जो भी कोई भी कार्य करने से पूर्व गणपति महाराज का पूजन करेगा। उसे यश, वैभव, कीर्ति, धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी। कथा के अंत में भगवान शिव शंकर के भोले के सुंदर भजन गाए गए और प्रसाद वितरित किया गया।