आवाज़ ए हिमाचल
19 जून।प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि करुणामूलक आश्रित लम्बे समय से नौकरी का इंतज़ार कर रहे है दिन प्रतिदिन आश्रितों की उम्रें निकलने के कारण आश्रित बाहर होते जा रहे है पर सरकार करुणामूलक आश्रितों को 15 सालों से अनदेखा करती आ रही है, विभिन्न विभागों द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी बिठाकर स्क्रीनिंग तो हो गई है पर अभी तक सरकार द्वारा नियुतियां नही दी जा रही है ,जब भी करुणामूलक नौकरी बहाली का मुद्दा उठता है तो थोडी बहुत हलचल होने के बाद मुद्दे को दवा दिया जाता है । एक तो इन आश्रितों ने अपने परिवारों का कमाने वाला मुखिया खोया है, जिसके कारण आर्थिक स्थिति ठीक नही,कोविड-19 महामारी के इस दौरान में इन परिवारों को बहुत ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, आर्थिक स्थिति डगमगाने के कारण इन परिवारों को महामारी के इस दौर में खाने पीने तक के लाले पड़ गए है,बता दें कि करुणामूलक संघ लम्बे समय से करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसा कोई जनमंच नही बचा होगा जहां पर करुणामूलक संघ ने गुहार नही लगाई होगी।
करुणामूलक संघ का कहना है कि चुनावों के दोरान करुणामूलक मुद्दा उठाया जाता है व जैसे ही चुनाव हो जाते है ये मुद्दा फिर दवा दिया जाता है, करुणामूलक आश्रितों को चुनाव के समय सिर्फ वोट बैंक का जरिया समझा जाता है । करुणामूलक संघ का कहना है कि आश्रितों की मांगों को अनदेखा न किया जाए वर्ना उनचुनावों व 2022 के चुनावों में इसका खामियाजा भूकतना पड़ सकता है, करुणामूलक संघ का कहना है कि हम 4500 आश्रित परिवार नही बल्कि साढ़े चार लाख वोटर है और साढ़े चार लाख वोटर सरकार बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है।
करुणामूलक संघ ने सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि करुणामूलक आश्रितों को जो पॉलिसी में आ रहे है, उन्हे उपचुनाव से पहले अथवा आगामी कैबिनेट में One Time settlement देकर एक साथ नियुक्तियाँ दी जाए, वर्ना करुणामूलक परिवार मिशन डिलीट में कोई कसर नही छोड़ेंगे
मुख्य मांगे :-
1) समस्त विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नोकरियों के केसों को जो 7/03/2019 की पॉलिसी मे आ रहे हैं उनको One Time Settlement के तेहत सभी को एक साथ नियुक्तियाँ दी जाएं।
2) करुणामूलक आधार पर नोकरियों वाली पॉलिसी में संसोधन किया जाए व उसमे Rs 62500 एक सदस्य सालाना आय सीमा शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए।
3) योग्यता के अनुसार आश्रितों को बिना शर्त के सभी श्रेणीयो में नौकरी दी जाऐ।
4) 5% कोटा शर्त को हटा दिया जाए ताकि विभाग अपने तोर पर नियुक्तियाँ दे सके।
5) जब किसी महिला आवेदक की शादी हो जाती है तो उसे पॉलिसी से बाहर किया जाता है इस शर्त को भी हटाया जाए।
6) जिनके कोर्ट केस वहाल हो गए हैं उन्हे भी नियुक्तियाँ दी जाए।