आवाज़ ए हिमाचल
09 जून । स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की गोल्डमेडलिस्ट हरियाणा की सुनीता और उसके परिवार के संघर्ष की कहानी भी आश्चर्यजनक है। यह कहानी गरीबी और बुरे हालात की मार के बीच अपनी मंजिल हासिल करने की है। विश्व चैंंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली यह बेटी अब मजदूरी करने को मजबूर है।
न सरकार की ओर से उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया गया है और न सामाजिक संगठन उनकी मदद कर रहे हैं। ऐसे में यह खेल प्रतियोगी संकट के दौर से गुजर रही है। सुनीता कर्ज लेकर विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंची थी और अब मजदूरी कर के इस कर्ज की किस्त चुका रही है। सुनीता रोहतक जिले के सीसर गांव की रहनेवाली हैं।
सुनीता के घर में चूल्हा भी मजदूरी से जलता है। इसके बावजूद सुनीता का हौसला और लक्ष्य बहुत बड़ा है। उन्होंने महज तीन साल में ही 20 से अधिक मेडल जीत कर देश व प्रदेश का गौरव बढ़ाया है लेकिन मजबूरी यह है कि यह होनहार खिलाड़ी माता- पिता के साथ मजदूरी करने पर मजबूर है।
सुनीता महम कालेज में बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। घर का खर्च चलाने के लिए माता-पिता के साथ मजदूरी भी कर रही है। लेकिन, स्ट्रेंथ लिफ्टिंग में देश गौरव बढ़ाने की जिद भी है। सुनीता के माता-पिता ने कर्ज लेकर बेटी को फरवरी 2020 में थाईलैंड के बैंकाक में हुई विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में खेलने भेजा। बेटी ने अपनी प्रतिभा दिखाई और गोल्ड मेडल जीत कर देश का मान बढ़ाया था।