आवाज़ ए हिमाचल
06 मई। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण काल की दूसरी लहर में बढ़ते मामले देख योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में कोविड बेड की संख्या बढ़ाने के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों को भी सम्बद्ध किया था, जिससे की गंभीर रूप से संक्रमितों को यथोचित उपचार मिल सके। सरकार के इस अवसर का निजी अस्पतालों ने नाजायज लाभ लेने का प्रयास किया। सरकारी कोटे से आवंटित मेडिकल ऑक्सीजन होने के बाद भी इनमें से अधिकांश अस्पतालों ने संक्रमितों तथा नान कोविड मरीजों का उपचार करने से इन्कार कर दिया। इसकी जानकारी पर सरकार ने सख्त कदम उठाया और ऐसे अस्पतालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना के संक्रमण में आने के बाद भी रोज लगातार प्रदेश में इसके कहर पर अंकुश लगाने के इंतजाम में लगे हैं। मेडिकल ऑक्सीजन की कमी होने पर केंद्र सरकार के सहयोग से अन्य राज्यों से भी रेलवे की मदद से ऑक्सीजन को लखनऊ सहित अन्य शहरों में उपलब्ध कराया जा रहा है। इंजेक्शन रेमडेसिविर तथा अन्य उपयोगी दवा को सरकारी जहाज भेजकर अन्य राज्यों से मंगाया जा रहा है। इसके विपरीत निजी अस्पताल सरकारी कोटे की मेडिकल ऑक्सीजन को अनउपलब्ध दिखाकर ब्लैक में बेच रहे हैं। इसके साथ ही संक्रमित तथा उनके तीमारदारों को दवाएं भी महंगी कीमत पर दे रहे हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद से चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह भी अस्पतालों में दौरा कर रहे हैं।
मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया कि कुछ निजी अस्पतालों ने ऑक्सीजन रहते हुए भी खाली बेड को खाली ही रखा है ताकि वह लो यहां पर मनमानी कर पैसा लें। इसी तरह के एक मामले में सन हॉस्पिटल के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। इससे अस्पतालों को संदेश जाएगा कि अगर गलत तरीके से पैसे लेते हैं तो कार्रवाई होगी।प्रदेश सरकार ने अब गैरकानूनी काम करने वाले अस्पतालों पर शिकंजा कस दिया है। लखनऊ में मेयो हॉस्पिटल को जब नोटिस भेजा गया तो इसके प्रशासन ने तत्काल ही मरीजों को भर्ती करना शुरू कर दिया। यहां पर सरकार की तरफ से सख्त कार्रवाई का नोटिस मिलते ही मेडिकल ऑक्सीजन भी उपलब्ध हो गई। इसी तरह से लखनऊ में गोमतीनगर के सन अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। इसमें अस्पताल के मालिक को भी नामजद किया गया है।