आवाज़ ए हिमाचल
17 अप्रैल। कोटखाई दुष्कर्म एवं हत्या मामले में शुक्रवार को शिमला में जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत में सुनवाई हुई। इसमें आरोपित के वकील बचाव पक्ष ने सीबीआइ जांच और ब्लड सैंपलिंग पर सवाल उठाए। सीबीआइ के विशेष अभियोजक ने डीएनए सैंपल, मौके से जुड़े बिंदुओं पर मजबूती के साथ पक्ष रखा। अब मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को होगी और उस दिन कोर्ट का फैसला आ सकता है। आरोपित अनिल उर्फ नीलू चिरानी को सेेंट्रल जेल कंडा से कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह दस बजे अदालत परिसर पहुंचाया गया। दोपहर बाद केस की सुनवाई शुरू हुई तो दोनों पक्षों के बीच कुछ बिंदुओं पर बहस चली।
आरोपित के वकील एमएस ठाकुर ने पूरी जांच को संदेह के घेरे में खड़ा किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब संदेह के आधार पर डेढ़ सौ से अधिक व्यक्तियों के खून के नमूने एकत्र किए गए तो इनमें से किसी और की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई। वहीं नीलू के केस में 13 अप्रैल 2018 को सुबह जंगल में सीबीआइ ने सैंपल एकत्र किए और शाम को गिरफ्तारी कर दी।हालांकि तब डीएनए की रिपोर्ट भी नहीं आई थी। इससे लगता है कि सीबीआइ पहले से ही तय कर चुकी थी कि नीलू को ही फंसाना है। जंगल में ब्लड सैंपल लिए गए, पार्सल की सील सीबीआइ ने अपने पास रखी। इससे टैंपरिंग की आशंका बढ़ गई। पुलिस की ओर से एफएसएल को जो पार्सल भेजे गए, उनमें दस सीलें लगाई गई थी। बाद में प्रयोगशाला में छह ही सीलें पाई गईं। सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने डीएनए रिपोर्ट और मौके के साक्ष्य के बारे में तथ्य दिए।
मामला
कोटखाई के गांव हलाईला क्षेत्र में स्कूली छात्रा से चार जुलाई को 2017 को दुष्कर्म हुआ हुआ और फिर हत्या कर दी गई। पुलिस ने जिन आरोपितों को गिरफ्तार किया, उनमें से सूरज की कोटखाई थाने की हवालात में मौत हो गई। हाईकोर्ट ने इन दोनों मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए। जांच में पुलिस की थ्योरी गलत साबित हुई और सीबीआइ ने सभी आरोपितों को क्लीनचिट दे दी।