आवाज़ ए हिमाचल
16 अप्रैल। व्यापक जनहित नहीं तो थर्ड पार्टी की मेडिकल रिपोर्ट और इससे संबंधित जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक नहीं होगी। डॉक्टर और मरीज से संबंधित ऐसी जानकारी को राज्य सूचना आयोग ने गोपनीय की श्रेणी में रखा है। आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में आरटीआई एक्ट 2005 निजता के व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान ने आईजीएमसी की प्रथम अपीलीय अथारिटी डॉ. रजनीश पठानिया के फैसले को सही ठहराया।
आयोग ने अपीलकर्ता डॉ. पवन कुमार बंटा बनाम आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक की अपील पर यह फैसला सुनाया है। बंटा ने एक व्यक्ति को जारी फिटनेस प्रमाणपत्र से संबंधित सूचना मांगी। यह सूचना एसपी शिमला की जांच रिपोर्ट के साथ चिकित्सकों की तीन सदस्यीय कमेटी की इंटरनल नोटिंग्स के बारे में मांगी गई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार इस व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट सही है। इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं है। आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 के तहत निजता के व्यक्तिगत अधिकार की रक्षा करता है, जहां डॉक्टर और मरीज जैसे जिम्मेवारी वाले संबंध हों। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की नैतिकता संहिता के विनियम -5 के अनुसार भी मरीज की गोपनीयता की रक्षा की गई है।
जनसूचना अधिकारी, उपचार कर रहे डाक्टर और प्रशासक भी मरीजों की स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(जे) के अनुसार अगर व्यक्तिगत सूचना में व्यापक जनहित नहीं है और यह किसी की निजता को अनचाहे तरीके से नुकसान पहुंचा रहा हो तो इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।