आवाज़ ए हिमाचल
13 अप्रैल।नवरात्रि के नौ दिन देवी मां की उपासना के लिए बहुत विशेष महत्व रखते हैं।इस संसार के कल्याण और पालन-पोषण के लिए आदि शक्ति ने अपने तेज को नौ अलग-अलग रूपों में प्रकट किया, जिन्हें हम नव-दुर्गा कहते हैं।नवरात्रि का समय मां दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों की उपासना का समय होता है, जिसमें हर दिन देवी मां के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में देवी के नौ रूपों में से प्रथम दिन ‘मां शैलपुत्री’ की पूजा की जाती है. दूसरे दिन ‘ब्रह्मचारिणी’ स्वरुप की। तीसरे दिन ‘चंद्रघंटा’. चौथे दिन ‘कूष्मांडा’, पांचवे दिन ‘स्कन्दमाता’, छठे दिन ‘कात्यायनी’, सातवें दिन ‘कालरात्रि’, आठवें दिन ‘महागौरी’ तथा नवरात्रि के नौवे दिन मां ‘सिद्धिदात्री’ की पूजा की जाती है।
श्लोक – प्रथमं शैलपुत्री च द्वितयं ब्रह्मचारिणी. तृतीयं चन्द्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं..
पंचमं स्कन्दमातेति षष्टम कात्यायनीति च. सप्तमं कालरात्रीति महागौरी चाष्टमम ..
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तितः.
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू होते हैं और नवमी तिथि तक नवरात्रि उपस्थित रहते हैं।इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू होंगे और 21 अप्रैल (राम-नवमी) तक रहेंगे।इस बार नवरात्रि का आरम्भ मंगलवार से हो रहा है, इसलिए इस बार नवरात्रि में माता का वाहन घोडा है।माता का आगमन घोड़े की सवारी से होगा।घोड़े की सवारी से माता के आगमन को नए वर्ष में सामाजिक राजनैतिक और प्राकृतिक उठा-पटक कराने वाला माना गया है लेकिन विकास कार्यों के लिए शुभ माना गया है।इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ‘अमृत सिद्धि योग’ और ‘सर्वार्थ सिद्धि योग’ भी उपस्थित रहेंगे, इसलिए इस बार नवरात्रि का आरम्भ परम शुभ स्थिति में होगा।
इस बार नवरात्रि की नौ तिथियां –
प्रतिपदा – 13 अप्रैल
द्वितीय – 14 अप्रैल
तृतीया – 15 अप्रैल
चतुर्थी – 16 अप्रैल
पंचमी – 17 अप्रैल
षष्ठी – 18 अप्रैल
सप्तमी – 19 अप्रैल
अष्टमी – 21 अप्रैल
नवमी – 21 अप्रैल
इस बार दुर्गा अष्टमी 20 अप्रैल को होगी और श्रीराम नवमी 21 अप्रैल को होगी
क्या है कन्या पूजन का शुभ दिन
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार, नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें देवी मां के स्वरुप में छोटी कन्याओं को मिष्ठान और व्यंजन का भोग लगाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।जो लोग अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं, वे 20 अप्रैल को कन्या पूजन करें और जो लोग नवमी वाले दिन कन्या पूजन करते हैं, वे सभी लोग 21 अप्रैल को कन्या पूजन करें।
13 अप्रैल को घट स्थापना का शुभ समय
13 अप्रैल मंगलवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि के पहले नवरात्रि वाले दिन प्रातः काल से ही अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जायेंगे लेकिन सुबह 7 बजकर 38 मिनट से 9 बजकर 34 मिनट के बीच स्थिर लग्न (वृष) उपस्थित रहेगी और घट स्थापना के लिए स्थिर लग्न को ही सबसे अच्छा समय माना गया है, इसलिए 13 अप्रैल को सुबह 7:38 से 9:34 के बीच घट स्थापना का श्रेष्ठ समय होगा।
ईशान कोण में करें घट की स्थापना
वास्तु शास्त्र की दृष्टि से किसी भी धार्मिक या पूजा के कार्य के लिए ईशान कोण को ही सबसे अच्छा माना गया इसलिए इसलिए अगर आपके लिए संभव हो तो नवरात्रि में घट स्थापना अपने घर या पूजा स्थल के ईशान कोण की और करें इसके अलावा पूर्व और उत्तर दिशा में भी घट स्थापना की जा सकती है।
शुभ कामों की शुरुआत के लिए आया शुभ समय
ज्योतिषीय नजरिये से भी नवरात्रि-काल बहुत शुभ होता है, इसलिए अपने किसी भी शुभ या नए काम की शुरुआत करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन बहुत अच्छे मुहूर्त भी होते हैं। जैसे के नीव पूजन, गृह प्रवेश, ऑफिस ओपनिंग, बिजनेस डील, फैक्ट्री लगाना और नए वाहन खरीदना जैसे सभी काम नवरात्रि के समय किये जा सकते हैं।