आवाज़ ए हिमाचल
03 अप्रैल। हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों में वनों की आग बुझाने के लिए अब हेलीकॉप्टर की मदद ली जाएगी। आग बुझाने के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के सरसावा स्टेशन से वायुसेना का हेलीकॉप्टर आएगा। इस संबंध में वन विभाग के प्रस्ताव पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मुहर लगा दी है। भीषण आग लगने की सूरत में इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ऐसी जगह होगा, जहां पर फायर बिग्रेड की सेवाएं संभव नहीं। पिछले साल मौसम मेहरबान रहने से आग की घटनाएं कम घटित हुई थीं। इस कारण हेलीकॉप्टर से पानी पहुंचाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। दो दिन पहले ही सोलन के पर्यटक स्थल कसौली क्षेत्र में वनों में आग लग गई थी। सेना की संपत्ति भी इसके साथ थी। वहां वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से आग पर काबू पा लिया गया था।
हर साल लगती है आग
वनों में हर साल आग लगती है। राज्य में सभी प्रकार के वन आग के लिए संवेदनशील हैं। समशीतोष्ण वनों में भी शुष्क व सर्द ऋतु के वक्त आग की घटनाएं घट जाती हैं। यहां 3.4 फीसद भाग में यह घटनाएं ज्यादा होती हैं।
आग के लिहाज से संवदेनशील है चीड़
आग के लिहाज से चीड़ के पेड़ सबसे संवेदनशील होते हैं। इसकी पत्तियां आग को आसानी से पकड़ती हैं। राज्य में चीड़ के जंगलों का क्षेत्रफल 1258.85 वर्ग किलोमीटर है। यह कुल वन क्षेत्र का लगभग 3.4 फीसद है। 43 में से चीड़ प्रजाति के पेड़ 26 वन मंडलों में पाए जाते हैं। ये अपने नीचे घास भी नहीं उगने देता है। यह पर्यावरण को बचाने से अधिक इसे उजाडऩे का कार्य करता है। किसान ऐसे पेड़ों से काफी परेशान हैं। इनका फैलाव लगातार बढ़ रहा है। किसानों की मानें तो इसकी जगह चौड़ी पत्ती वाले पौधे रोपे जाने चाहिए।
कम बारिश के कारण विभाग सतर्क
पीसीसीएफ मैनेजमेंट राजीव कुमार का कहना है इस बार सर्दी में कम बारिश हुई। जलवायु बदलाव, सूखे जैसे हालत बनने से तापमान में बढ़ोत्तरी होने के आग की घटनाएं ज्यादा हो सकती हैं। सहारनपुर के सरसावा स्टेशन से वायुसेना का हेलीकॉप्टर आएगा। इसकी मदद से भीषण आग को बुझाया जाएगा।