आवाज़ ए हिमाचल
30 मार्च । मालाबार नीम जल्द हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी आमदनी का साधन बनेगा। राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में मालाबार नीम की खेती का सफल ट्रायल हुआ है। करीब तीन वर्ष पहले कर्नाटक से लाया गया पौधा विशालकाय पेड़ बन चुका है। महाविद्यालय ने मालाबार नीम के पौधों की 10 विभिन्न प्रजातियां भी विकसित की हैं। विभाग की नर्सरी में लगभग 10 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
सफल ट्रायल के बाद अब प्रदेश के किसानों को पौधे वितरित किए जाएंगे। मालाबार नीम दुनिया में सबसे तेजी से उगने वाले पेड़ों में से एक है। कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में यह पेड़ उगाया जाता है। मालाबार नीम के पौधों को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। यह तीन वर्ष में ही लंबा वृक्ष बन जाता है। यह पेड़ तीन साल बाद कागज और माचिस की तिलियां बनाने में उपयोग योग्य हो जाता है। छह साल बाद प्लाइवुड और आठ साल बाद फर्नीचर उद्योग में इस्तेमाल करने योग्य होता है। इसकी लकड़ी दीमकरोधी होती है। इसकी पत्तियां भी बहुत उपयोगी होती हैं।
वन अनुसंधान केंद्र देहरादून से मालाबार नीम के पौधे लाकर बिलासपुर, कांगड़ा व हमीरपुर में रोपे गए। तीन साल में नेरी में रोपे गए पौधे अब बड़े हो गए हैं। उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के डॉ. दुष्यंत शर्मा ने मालाबार नीम के पौधों की 10 प्रजातियां शरद, वर्षा, ऋतु, मीगा, शशि, कार्तिक, देव, बहुमुखी, क्षितिज और अमर ट्रायल के लिए रोपी थीं। किसानों को यह पौधा 30 से 40 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के विशेषज्ञ डॉ. दुष्यंत ने कहा कि उन्होंने प्रदेश में तीन वर्ष पूर्व मालाबार नीम के पौधे रोपे थे। ये पौधे तीन साल में काफी विशालकाय हो गए हैं। एक पेड़ में तो एक वर्ष में फूल आ गए हैं, जिससे और पौधे तैयार कर सकते हैं। मालबार नीम की लकड़ी काफी महंगी होती है। नर्सरी में लगभग 10 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इस वर्ष किसानों को ये पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे। महाविद्यालय के डीन डॉ. कमल शर्मा ने कहा कि नेरी में मालाबार नीम के पौधे लगाए गए थे और अब काफी विकसित हो गए हैं। शीघ्र ही किसानों को मालाबार नीम के पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे।