आवाज़ ए हिमाचल
22 मार्च। पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना के तहत राजमार्ग किनारे स्थित भूमि, भवनों व मकानों के अधिग्रहण मामले में प्रभावित परिवारों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जसूर के जाच्छ क्षेत्र से संबंध रखने वाले सेवानिवृत्त मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने 25 फरवरी को दिए गए भूमि अधिग्रहण अवार्ड के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। 74 पृष्ठों की जनहित याचिका में अवार्ड लेटर को सिरे से ही खारिज करने की पैरवी की गई है। साथ ही कहा है कि भूमि अधिग्रहण के बदले प्रभावितों को मुआवजा 1956 के एक्ट के अनुसार दिया गया है और यह सरासर गलत है।
याचिका में कहा है कि उक्त अवार्ड लेटर में हजारों लोगों की सड़क किनारे बहुमूल्य है। तर्क दिया है कि किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित जमीन की दर अलग-अलग होती है तथा इसका रेट मार्केट वेल्यू के हिसाब से तय किया जाता है। याचिका में भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों को पार्टी बनाया है। साथ ही भूमि अधिग्रहण में व्यापक कमियों को आधार बनाते हुए फोरलेन एक्ट 2013 के नियमों व प्रावधानों का उल्लंघन करने की बात भी याचिका में कही गई है।
कंडवाल से सियुनी तक करीब तीन कस्बों के करीब 4000 प्रभावित परिवारों में भूमि अधिग्रहण व 25 फरवरी को दिए अवार्ड लेटर पर आक्रोश है। फोरलेन संघर्ष समिति एवं भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले लोग दो सप्ताह पहले विधायक तथा 10 दिन पहले फतेहपुर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिल चुके हैं। हैरानी की बात है कि आजतक इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिका में अवार्ड लेटर को निरस्त करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि अगर सरकार फोरलेन पीड़ितों की मांग को अनसुना करती है तो प्रभावित होने वाले लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।