आवाज़ ए हिमाचल
विपुल महेंद्रू,चंबा
17 मार्च। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चंबा द्वारा एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें चिकित्सा अधिकारियों और लैब टेक्नीशियन ने हिस्सा लिया जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने की उन्होंने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम रोगों के प्रकोप का शीघ्रता से पता लगाने और अनुक्रिया देने के लिये नवंबर, 2004 में ‘विश्व बैंक’ की सहायता से ‘एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम’ (Integrated Disease Surveillance Programme- IDSP) के रूप में शुरू किया गया था। जिसके लिए एक ‘केंद्रीय निगरानी इकाई’ (Central Surveillance Unit- CSU) की स्थापना ‘राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र’, दिल्ली में की गई थी. सभी राज्यों तथा ज़िलों (SSU/DSU) में निगरानी इकाइयों की स्थापना की गई है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रोगों की प्रवृत्ति पर निगरानी रखने के लिये विकेंद्रीकृत निगरानी की प्रणाली को मज़बूत करना है ।
इस कार्यक्रम में प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीम (Rapid Response Team- RRTs) के माध्यम से शुरुआती चरण में प्रकोपों का पता लगाना एवं प्रतिक्रिया देना होता है ।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डेटा का संग्रह, संकलन, विश्लेषण और प्रसार के लिये सूचना संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर उसे सरल करना है साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को मज़बूत बनाना।IDSP के तहत बीमारियों को वर्गीकृत करने के लिये छह सिंड्रोमों; जिसमें बुखार, तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, तीव्र शारीरिक पक्षाघात (Acute flaccid Paralysis), डायरिया, पीलिया, असामान्य घटनाओं के कारण मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होना शामिल कर उस की पहचान करना है
स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं द्वारा रोगी के सामान्य लक्षणों को देखकर सामान्य बुखार के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाता है, तथा वास्तविक बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने सभी चिकित्सा से कहा कि समय समय पर IDSP वेबसाइट पर मासिक ‘रोग चेतावनी’ और अन्य जानकारी का अध्ययन करते रहे. इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ड़ा हरित पूरी ने जिले में चल रहे कार्यक्रम पर विस्तार से जानकारी दी।