आवाज़ ए हिमाचल
01 नवंबर।दशहरा उत्सव में इस बार सैकड़ों देवी-देवताओं को न बुलाने से भगवान रघुनाथ भी दुखी हैं। कई देवता भी रुष्ट हैं। दशहरे में देवताओं को न बुलाने, देवताओं को दशहरे में आने से रोकने, धारा 144 लगाने आदि गलतियों के लिए रविवार को हलाण के देवता नाग धूमल, मेहा के श्री नारायण और डमचीण के वीरनाथ ने छिद्रा (पश्चाताप) किया।
छिद्रा के दौरान भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे। देवता वीरनाथ के गूर ने छिद्रा की रस्म को पूरा किया। गूर के माध्यम से कहा गया कि अगर प्रशासन ने किसी देवता को दशहरे में नहीं बुलाया, उससे देवता नाराज हुआ तो हम उसका पश्चाताप करते हैं।
भगवान रघुनाथ या अन्य देवता रुष्ट हैं तो उसका भी पश्चात करते हैं। पुलिस ने दशहरे में आने से देवता को रोका, उसका भी पश्चाताप करते हैं।
छिद्रा के बाद देवता वीरनाथ और धूमल नाग ने ढालपुर की परिक्रमा की। इससे पहले सुबह दोनों देवता ढालपुर से अपना सामान समेट देवालय की ओर प्रस्थान कर गए थे। लेकिन जब ये देवता रघुनाथपुर में पहुंचे तो देवता वीरनाथ ने कहा कि दशहरा में इस बार चीजें सही नहीं हुई हैं। अगर इसका पश्चाताप नहीं किया गया तो बहुत बड़ी क्षति हो सकती है। इसके बाद दोनों ढालपुर के पशु मैदान मेें पहुंचे, जहां डमचीण के वीरनाथ ने लंकाबेकर में अपनी कार्यवाही पूरी की।
इसके बाद दोनों देवता भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में पहुंचे। मेहा के देवता श्री नारायण भी छिद्रा में शामिल हुए। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि देवताओं के निर्णय के बाद छिद्रा किया गया है। अब अन्नकूट उत्सव के दिन छोटी जगती का आयोजन किया जाएगा।