आवाज़ ए हिमाचल
26 जनवरी। भारत में जनगणना की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित जनगणना को लेकर आज सुनवाई हुई। पिछड़ा वर्ग के लिए जाति आधारित जनगणना कराने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में पिछड़े वर्ग के लिए जाति आधारित जनगणना की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट इस मांग से जुड़ी दूसरी याचिका के साथ आगे सुनवाई करेगा।
जाति आधारित जनगणना पर सियासत शुरू
देश में जनगणना की प्रक्रिया अभी शुरु होनी बाकी है लेकिन जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग पर बहस जारी है। इस मांग की शुरुआत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी इसकी मांग कर रहे हैं।ये पहला मौका नहीं है जब देश में जाति आधारित जनगणना की मांग उठ रही है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। उस समय भी यह मांग उठी थी जिनमें प्रमुख मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव जैसे नेता थे और इस बार केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल यह मांग कर रहे हैं।
1881 से शुरू हुई जनगणना
देश में आधिकारिक तौर पर जनगणना की शुरुआत 1881 में हुई थी। शुरू में इसमें जाति, धर्म, मातृभाषा, शिक्षा, रोजगार से जुड़े सवाल शामिल होते थे लेकिन जातिगत जनगणना कभी भी नहीं देखा गया। जाति और धर्म पर सवाल महज औपचारिकता थे। स्वतंत्रता के बाद 1951 में पहली बार जनगणना की गई और उस समय से ही जाति के बारे में आंकड़े इकट्ठा किया जाना लगा था।भारत में जनगणना का काम इस साल होना है। इसकी शुरुआत पिछले साल ही होनी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। केंद्र सरकार अब इस प्रक्रिया को शुरू करना चाहती है। इसबार जहां तक संभव हो सके जनगणना का काम, डोर टू डोर ना जाकर इसे मोबाइल और अन्य डिजिटल माध्यमों से करने का प्रस्ताव है। आज की तारीख में भारत की अनुमानित जनसंख्या 1,38,76,61,389 यानि करीब 138 करोड़ है।