भोजन का जायका बढ़ाने संग कई बीमारियों को दूर भगाता है बुरांश का फूल

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आवाज ए हिमाचल

   अनिल शर्मा

22 फरवरी।प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश अपने हरे-भरे जंगलों, कलकल बहते नदी-नालों, ब़र्फ से लदे पहाड़ों और बेशकीमती जड़ी-बूटियों की बजह से विश्व के मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान रखता है। हिमाचल के जंगलों में कई ऐसे फल-फूल और जड़ी-बूटियॉ मौजूद हैं, जो अपने विषिष्ट गुणों के कारण कई बीमारियों में रामबाण का काम करते हैं। ऐसे ही विशिष्ट गुणों से भरपूर है-बुरांश के फूल, जो जनवरी माह के अंत तक जंगलों में खिलना आरम्भ हो जाते हैं।

इसके विशिष्ट गुणों के चलते लोग साल भर इनके खिलने का इंतजार करते हैं। इसकी लोकप्रियता का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाज़ार में आते ही यह हाथों-हाथ बिक जाता है।हिमाचल के पहाड़ों पर आजकल खिले ‘बुरांश के फूल’ स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मनमोहक, आकर्षक एवं क़ुदरती गुणों से भरे हुए इन फूलों को प्रदेश में आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग अपने-अपने कैमरों में क़ैद कर रहे हैं।

भले ही बुरांश के ये फूल कुछ दिनों बाद जंगल से गायब हो जाए,लेकिन लोगों की स्मृतियों और कैमरों में क़ैद होने के बाद ताउम्र ताज़ा रहेंगे।
बुरांश के पेड़ समुद्रतल तल से लगभग 1500 मीटर से 3600 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह वृक्ष मुख्यता ढलानदार जमीन पर पाए जाते हैं। बुरांश की विशेषता है कि वे देखने में जितने सुन्दर होते हैं, उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, मंडी, शिमला, चम्बा तथा सिरमौर ज़िलों में बुरांश के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते हैं।स्थानियता के अनुसार इन फूलों को विभिन्न ज़िलों में आमतौर पर बुरांश, ब्रास,बुरस या बराह के फूल के नाम से जाना जाता है।विशेषज्ञ के अनुसार लाल रंग बाले बुरांश के फूलों का औषधीय महत्व अधिक होता है।

कई शोधों के अनुसार बुरांश एन्टी डायबिटिक, एन्टी इन्फ्लामेट्री और एन्टी बैक्टिरियल गुणों से भरपूर होता है। इस तरह इन फूलों को बेहद स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लोग इन्हें बवासीर, लीवर, किडनी रोग, खूनी दस्त, बुखार इत्यादि के दौरान प्रयोग में लाते हैं। कई लोग इनकी पखुड़ियों को सुखाने के बाद इन्हें साल भर प्रयोग में लाते हैं।


ग्रामीण क्षेत्रों में,जहां वृद्ध आज भी बुरांश के मौसम में इसकी चटनी बनवाना नहीं भूलते, वहीं युवाओं में भी यह चटनी इतनी ही प्रिय है। इसके अलावा अब आधुनिक फल विधायन के माध्यम से बुरांश के फूलों का जूस बनाया जा रहा है। बुरांश का जूस बाज़ार में साल भर आसानी से उपलब्ध रहता है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का द्योतक है।जहां इन फूलों का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है, वहीं यह कई सप्ताह तक स्थानीय लोगों की अतिरिक्त आय के साधन के रूप में उनकी आर्थिकी को मजबूत किए हुए है।

नोट:लेखक धर्मशाला में सूचना एवं जन संपर्क विभाग में सहायक सूचना अधिकारी के पद पर कार्यरत है।

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