आवाज़ ए हिमाचल
22 फरवरी। सिरमौर के गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के दशकों से लंबित मामले में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया कार्यालय (ओआरजीआइ) ने नया अड़ंगा लगाया है। इस कार्यालय ने साफ कर दिया है कि वह पुरानी आपत्तियों को तब तक रिव्यू नहीं करेगा, जब तक हिमाचल सरकार इन्हें दूर करने के लिए अपनी नई रिपोर्ट नहीं सौंपेगा। आरजीआइ के इस रूख को केंद्रीय हाटी समिति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पास चुनौती दी। आयोग ने समिति को जनजातीय विकास मंत्रालय के पास जाने की सलाह दी। उधर, समिति ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस रिप्रेजेंटेशन को याचिका कंसीडर किया है। इस त्वरित कारवाई करते हुए पीएमओ ने हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की है। अब राज्य सरकार केंद्र को तथ्यों पर आधारित नई रिपोर्ट तैयार करेगी। इसमें आरजीआइ की आपत्तियों को दूर करने की कोशिश होगी।
नोडल एजेंसी ने की है सिफारिश
केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त नोडल एजेंसी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का जनजातीय विकास अध्ययन केंद्र गहन अध्ययन कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजा चुका है। इसमें केंद्र ने गिरिपार को एसटी का दर्जा देने की सिफारिश की गई है।
क्या है आपत्ति
आरजीआइ कार्यालय ने सबसे बड़ी आपत्ति यही लगाई है कि गिरिपार का हाटी समुदाय इकलौता समुदाय नहीं है। हालांकि हाटियों का तर्क है कि किन्नौर, लाहुल, उत्तराखंड का जोंसार बाबर भी इकलौता समुदाय नहीं है। फिर यह मानक सिरमौर के लिए क्यों लागू हो। यह मुद्दा सिरमौर के करीब तीन लाख लोगों के हितों से जुड़ा हुआ है।
कैबिनेट ने की है सिफारिश
प्रदेश से कैबिनेट बैठक में गिरिपार को एसटी घोषित करने की सिफारिश पहले ही हो चुकी है। पूर्व काग्रेस सरकार ने इस संबंध में पहल की थी। मौजूदा सरकार ने इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया है। वहीं राज्यपाल ने प्रस्ताव को अनुमोदित किया । पूर्व सरकार के कार्यकाल में यह नहीं हो पाया था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले की केंद्र के पास प्रमुखता से पैरवी की है।
राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब
सलाहकार केंद्रीय हाटी समिति डॉ. अमी चंद का कहना है हमारी रिप्रेंजेटशन को रिट ही कंसीडर किया है। इस संबंध में पीएमओ कार्यालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग 1979 में गिरिपार को ट्राइबल क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश कर चुका है। लेकिन आरजीआइ 2016 से लगातार अड़ंगा डाल रहा है। अब उम्मीद है कि राज्य सरकार आपत्तियों को दूर करेगी। समिति ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सबको केस रिप्रेजेंट किया है।