आवाज ए हिमाचल
20 जनवरी।बिजली बोर्ड में करुणामूलक आश्रितों के करीब 782 मामले लंबित पड़े है, जो बोर्ड की ओर से 14- 15 सालों से लटकाए हुए हैं। हिमाचल करुणामूलक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा बिजली बोर्ड में पांच फीसद आरक्षण के हिसाब से 360 पद बनते हैं पर बोर्ड द्वारा करुणामूलक आश्रितों को कोटा नहीं दिया जा रहा, जिस वजह से आश्रित परिवारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है व दर-दर ठोकरें खानी पड़ रही हैं। एक तो आश्रित परिवारों ने अपने परिवारों का कमाने वाला सदस्य खोया है और दूसरी तरफ बिजली बोर्ड करुणामूलक मामलों को लंबे समय से लटकाए हुए है। इस कारण दिन प्रतिदिन मामले बढ़ रहे हैं व नौकरी किसी को नहीं मिल रही है। करुणामूलक मामलों के निपटारे में ऊर्जा मंत्री की तरफ से भी कोई आदेश व आश्वासन नहीं दिया गया है।
2017 में टी-मेट की 1200 पदों पर भर्ती हुई, उसमें भी करुणामूलक आश्रितों को कोटा नहीं दिया गया था। अभी जो 2021 में 1892 पदों पर टीमेट और जूनियर ऑफिस असिस्टेंट की 425 पदों की भर्ती चली हुई है, करुणामूलक आश्रितों को इसमें भी कोटा नहीं दिया जा रहा हैं। एक तरफ सरकार कहती है कि करुणामूलक आश्रितों को कोटे का प्रावधान किया गया है। वहीं दूसरी ओर बिजली बोर्ड करुणामूलकों को कोई कोटा नही दे रहा है। सरकार कब तक करुणामूलक आश्रितों के साथ अन्याय करती रहेगी।
उन्होंने कहा कि करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के मामलों में सरकार के पास विभिन्न विभागों व बोर्डों व निगमों में लंबित करीब 4500 मामले पहुंचे हैं और प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। कई विभागों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार की महिला ने बच्चे छोटे होने के कारण नौकरी नहीं ली थी, जब बच्चे नौकरी योग्य हुए तो उन्हें नौकरी के लिए अब धक्के खाने पड़ रहे हैं। संघ ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि आने वाले बजट में करुणामूलक आश्रितों को वन टाइम सेटलमेंट देकर नियुक्तियां प्रदान करें।