कृषि कानूनों के विरोध से पंजाब में लहलाई कांग्रेस की फसल 

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आवाज ए हिमाचल 

18 फरवरी।कृषि कानून के विरोध से पंजाब में ऐसा जादू चला कि स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस ने सभी का सफाया कर दिया। कांग्रेस का वेहतर प्रदर्शन पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाब में संजीवनी का काम करेगा।शहरी इलाकों में सालों से जमी भाजपा और शिरोमणी अकाली दल के लिए नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं।पंजाब के लोगों की भाजपा और आकालियों से नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के आठ नगर निगमों में सात पर कांग्रेस ने कब्जा कर चौंका दिया है। बठिंडा में 53 साल बाद कांग्रेस का मेयर बनने जा रहा है। फिरोजपुर नगर परिषद में 33 में सभी 33 वार्डों पर कांग्रेस जीती है।

राजस्थान के बाद पंजाब से स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की बेहतरीन जीत ने नेतृत्व का उत्साह बढ़ाने के साथ किसानों के मुद्दे पर आगे बढ़ने की राह सुझाई है। किसान आंदोलन के शुरुआती दिनों में बाहर से समर्थन देने वाली कांग्रेस ने आंदोलन के राजनीतिक मायने समझकर ही इसे अपने अभियान का हिस्सा बनाया है। कांग्रेस लगातार यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में किसान पंचायत कर खुद को जोड़ने का काम कर रही है।कांग्रेस के महासचिव और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी की एकतरफा जीत के तीन मोटे कारण गिनाते हैं। रावत का कहना है कि किसान आंदोलन को पंजाब के हर व्यक्ति भले ही वो किसान नहीं है इसे अपने खिलाफ माना है। पंजाब के लोग मानते हैं कि तीनों कृषि कानून राज्य की अर्थव्यवस्था को चौपट कर देंगे।

कांग्रेस के प्रति लोगों के भरोसे का एक कारण भाजपा और अकाली दल की नकारात्मक सोच भी है। जिस तरह भाजपा ने कानून बनाए और लागू कराए उससे दोनों दलों की विश्वनीयता पर सवाल उठा है। वहीं आप की भूमिका को भी लोगों ने नकार दिया है।पंजाब के शहरी इलाकों के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय प्रभारी रावत, राज्य की सरकार के कामकाज के साथ पार्टी के प्रति पंजाब के लोगों की सोच को मानते हैं। उनका कहना है कि वहां के लोग जानते हैं कांग्रेस की सरकार में शांति और सद्भावना रहती है।

 

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