पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट सेक्टर की टूटी कमर

Spread the love

आवाज़ ए हिमाचल 

18 फरवरी।पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट सेक्टर की कमर टूट गई है। डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने बसों का न्यूनतम किराया 7 से बढ़ाकर 10 रुपये करने की मांग उठाई है। बस ऑपरेटरों का दावा है कि रेट बढ़ने से रोजाना डीजल खर्च में औसतन 500 से 800 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। जबकि, कमाई में लॉकडाउन के बाद से कोई इजाफा नहीं हुआ है।हिमाचल प्रदेश प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य एवं शिमला प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन के पूर्व महासचिव अमित चड्ढा का कहना है कि पहले जिस बस में रोजाना 2500 का डीजल लगता था, कीमतें बढ़ने के बाद अब 3100 रुपये का लग रहा है। लॉकडाउन के बाद से प्राइवेट बसों का संचालन बुरी तरह प्रभावित है। बहुत से बस ऑपरेटर नुकसान बढ़ने के कारण बसें चलाने में असमर्थ हो गए हैं।


सरकार को तुरंत राहत देते हुए बसों का न्यूनतम किराया 7 से बढ़ाकर 10 रुपये करने का फैसला लेना चाहिए। उधर, शिमला जिले की सबसे बड़ी हिमालयन प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन के चेयरमैन पंकज चौहान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद डीजल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी से यात्री परिवहन बरबाद होने के कगार पर है। सरकार को तुरंत प्राइवेट बसों का टोकन टैक्स, पैसेंजर टैक्स और अड्डा फीस माफ करने की घोषणा करनी चाहिए। कम से कम 31 मार्च 2021 तक के लिए सभी प्रकार के टैक्स माफ किए जाने चाहिए।

बेरोजगार होने की कगार पर टैक्सी ऑपरेटर
पेट्रोल-डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी से टैक्सी ऑपरेटरों का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पेट्रोल डीजल का खर्चा बढ़ने से गाड़ियों की किस्तें निकालना मुश्किल हो गया है। ऑल कॉमर्शियल व्हीकल ज्वाइंट एक्शन कमेटी हिमाचल प्रदेश के चेयरमैन राजेंद्र ठाकुर का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से अभी टैक्सी कारोबार संभल नहीं पा रहा है।टैक्सी ऑपरेटर बेरोजगार होने की कगार पर हैं। सरकार को टैक्सियों का टोकन टैक्स, पैसेंजर टैक्स 5 साल के लिए माफ करना चाहिए, परमिट की अवधि बढ़ाई जाए, बैंक की किस्तें बिना ब्याज एक साल के लिए बढ़ाई जाएं। प्रीपेड टैक्सी बूथ लगाए जाएं। संकट के समय में सरकार अगर हमारी मांगों पर सुनवाई नहीं करती तो मजबूरन हमें आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

बढ़ाई जाए ढुलाई की दरें, पुराने रेट पर काम करने से नुकसान
शिमला ग्रामीण ट्रांसपोर्टर्स कोऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष विनोद ठाकुर का कहना है कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टेशन का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। धामी स्थित गोदाम से सोलन, शिमला और सिरमौर जिलों के लिए सीमेंट की ढुलाई करने वाले ट्रांसपोर्टरों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब तक हमें 62 रुपये प्रति टन की दर से भाड़ा मिल रहा है जबकि, डीजल महंगा होने से खर्चे बहुत बढ़ गए हैं। ट्रांसपोर्टर अपने परिवार पाल सकें, इसके लिए ढुलाई की दरों में तुरंत बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *