आवाज़ ए हिमाचल
18 फरवरी। हिमाचल की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए बिजली बोर्ड ने बिजली संशोधित विधेयक का विरोध किया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की अध्यक्षता में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस में बोर्ड प्रबंधन ने अपना पक्ष रखा। अब प्रदेश सरकार 20 फरवरी तक लिखित में केंद्र सरकार को इस बाबत अपने सुझाव देगी। बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस शिमला से बोर्ड के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। हिमाचल की तरह जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के अधिकारियों ने भी भौगोलिक स्थिति का तर्क देते संशोधित हुए विधेयक का लेकर आपत्तियां दर्ज करवाईं।
बोर्ड प्रबंधन ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में राजस्व अधिक है। शेष क्षेत्रों में राजस्व कम है। ऐसे में निजीकरण होने की सूरत में कंपनियां सभी क्षेत्रों को नहीं लेंगी। बोर्ड के हाथ से अगर अधिक राजस्व वाले क्षेत्र जाने से नुकसान होगा। बोर्ड को अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को पैसा देना मुश्किल हो जाएगा। बोर्ड की ओर से हिमाचल में निजीकरण नहीं करने की मांग उठाई गई। अब प्रदेश सरकार ने इस बाबत अपना पक्ष रखना है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से बीस फरवरी तक लिखित में सुझाव देने को कहा है।
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी पहले ही बोर्ड को निजी हाथों में नहीं सौंपने की बात कह चुके हैं। उन्होंने बीते दिनों ही ब्यान जारी कर केंद्र सरकार से प्रदेश में बिजली बोर्ड का निजीकरण नहीं करने को लेकर पत्र भेजने की मांग की है। ऐसे में संभावित है कि केंद्र को लिखित में भेजे जाने वाले सुझावों में सरकार निजीकरण का विरोध करेगी। उधर, बिजली बोर्ड की सभी कर्मचारी यूनियनें भी लगातार संशोधित विधेयक का विरोध कर रही हैं। यूनियनों की ओर से बोर्ड का निजीकरण होने पर प्रदेेश में बिजली की दरों के कई गुना महंगा होने के आरोप भी समय-समय पर लगाए जा रहे हैं।