आवाज ए हिमाचल
02 फरवरी। जल प्रदूषण के मामले में हिमाचल प्रदेश की सबसे प्रदूषित नदियों में दूसरे स्थान पर मारकंडा नदी का पानी अब स्वच्छ होगा। नदी की बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) तीन से अधिक पाई गई है जो मानव जीवन के लिए घातक मानी गई है। मारकंडा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद कालाअंब में मारकंडा नदी पर सीटीपी (कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट) बनाया जा रहा है। इस नदी के पानी से सिंचाई के बाद फसलों को पहुंचने वाले नुकसान से भी अब बचा जा सकेगा।
सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्र मोगीनंद से लेकर त्रिलोकपुर तक के क्षेत्र के उद्योगों, घरों, ढाबों और होटलों से निकलने वाली सीवरेज, उद्योगों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी सीधा मारकंडा नदी में जा रहा है। इससे नदी का प्रदूषण का स्तर तीन बीओडी के करीब पहुंच गया है। लिहाजा, एनजीटी ने इस नदी के जल को स्वच्छ बनाने के आदेश दिए हैं। अब सरकार ने इस परियोजना के लिए 7.80 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। प्लांट बनाने का कार्य शुरू हो गया है। उपायुक्त डॉ. आरके परूथी और उद्योग विभाग के प्रबंधक ज्ञान सिंह ठाकुर ने बताया कि सीटीपी प्लांट का कार्य आरंभ कर दिया गया है। डीसी ने बताया कि प्लांट बनने के बाद नदी का जल काफी हद तक स्वच्छ हो जाएगा।
फसलों को पहुंच रहा था नुकसान
मारकंडा नदी के प्रदूषित होने के कारण कई इलाकों में फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा था। नदी के जल से सिंचाई करने से किसान तौबा करने लगे थे। कालाअंब इलाके में सिंचाई के लिए कई लोगों ने अब बोर लगा रखे हैं। नदी का पानी गागर नदी से होकर यमुना में मिलकर प्रवाहित होता है। यमुना नदी का जल भी इससे प्रदूषित हो रहा था।