गांधीनगर में आयोजित हुआ पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन, अमित शाह रहे मुख्यातिथि

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आवाज ए हिमाचल

14 सितंबर।हिंदी दिवस 2025 के अवसर पर गुजरात की राजधानी गांधीनगर में पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। मोदी जी की प्रेरणा से गृह मंत्रालय में ‘भारतीय भाषा अनुभाग’ का गठन हुआ है, जो हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित कर रहा है। शाह ने कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि वे एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजरात इसका बड़ा उदाहरण है, जहां महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, स्वामी दयानंद सरस्वती और के.एम. मुंशी जैसे महान नेताओं ने हिंदी को अपनाया और इसका प्रचार-प्रसार किया।उन्होंने कहा कि हिंदी केवल बोलचाल और प्रशासन की भाषा ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे विज्ञान, तकनीक, न्याय और पुलिसिंग की भाषा भी बनना चाहिए। जब शासन-प्रशासन का कार्य भारतीय भाषाओं में होगा तो जनता से जुड़ाव और गहरा होगा।इस अवसर पर गृह मंत्री ने नई ‘सारथी अनुवाद प्रणाली’ की शुरुआत की, जिसके माध्यम से हिंदी से भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में और वापस अनुवाद करना सरल होगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय अब राज्यों से उनकी मातृभाषा में प्राप्त पत्रों का उत्तर भी उसी भाषा में देगा।अमित शाह ने ‘हिंदी शब्दसिंधु’ शब्दकोष का भी उल्लेख किया, जो 51 हजार शब्दों से शुरू होकर अब सात लाख से अधिक शब्दों तक पहुँच चुका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2029 तक यह दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोष बनेगा और हिंदी को और अधिक लचीला और बहुपयोगी बनाएगा।
उन्होंने शिवाजी महाराज के स्वराज, स्वधर्म और स्वभाषा के सिद्धांत को याद करते हुए कहा कि स्वभाषा ही आत्मगौरव और स्वतंत्रता का आधार है। संस्कृत ने ज्ञान की गंगा प्रवाहित की और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं ने उस ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया। शाह ने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों से मातृभाषा में संवाद करें। उन्होंने कहा कि बच्चा अपनी मातृभाषा में ही सोचता और निर्णय करता है, इसलिए मातृभाषा में शिक्षा और संवाद बच्चों के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिव्यांगजनों के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की। इस अवसर पर प्रदर्शित एआई-संचालित विशेष चश्मे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ने और मातृभाषा में श्रव्य रूप से सामग्री प्राप्त करने में मदद करेगा।गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजभाषा विभाग ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। अब तक 539 नगरों में राजभाषा समिति का गठन हो चुका है। लगभग 3.28 लाख कर्मचारियों को हिंदी का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त 40 हजार कर्मचारियों को टंकण, 1918 को आशुलिपि और 13 हजार को अनुवाद का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से जेईई, नीट और यूजीसी जैसी परीक्षाएं 12 भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की परीक्षाएं भी अब 12 भाषाओं में ली जाती हैं।शाह ने कहा कि 70 के दशक में कहा जाता था कि हिंदी अब भूतकाल बनने जा रही है, लेकिन आज यह गर्व से कहा जा सकता है कि हिंदी और भारतीय भाषाएं भविष्य की भाषाएं बन रही हैं। ये विज्ञान, तकनीक, न्याय और प्रशासन की भी भाषाएं होंगी और आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगी।

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