यह पहली बार नहीं है,पहले भी तीन राज्यपाल निलंबित कर चुके है वन सरंक्षण अधिनियम:जगत सिंह नेगी

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आवाज ए हिमाचल 

08 जनवरी।हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को नौतोड़ भूमि उपलब्ध करवाने के लिए हिमाचल में लागू वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) से छूट देने के लिए राजभवन की ओर से उठाए गए सवाल पर कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने बड़ा बयान दिया है। जगत नेगी ने बुधवार को शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि यह पहली बार नहीं है जब वन संरक्षण अधिनियम को निलंबित करने की बात हो रही है। इससे पहले भी तीन राज्यपाल की ओर से अधिनियम को निलंबित किया गया। नेगी ने कहा कि बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्लान का पैसा भाजपा की केंद्र सरकार ने बंद कर दिया। इसके बाद भाजपा नई स्कीम लाई, जिसका नाम वाइब्रेंट विलेज रखा। हमने 700 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाली स्कीमें केंद्र को भेजीं, लेकिन आज तक एक भी पैसा नहीं दिया गया। नेगी ने नौतोड़ भूमि मामले पर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा नेताओं से पूछा कि क्या आप जनजातीय लोगों को नौतोड़ में भूमि देने के खिलाफ है। कहा कि भाजपा सरकार में पांच साल में जनजातीय सलाहकार समीति की एक बैठक हुई। भाजपा जनजातीय विरोधी है।कहा कि नाैतोड़ को लेकर काफी गलतफहमी है। नेगी ने कहा कि राज्यपाल ने नाैतोड़ को लेकर फेक करेंगे शब्द का इस्तेमाल किया। फेक का मतलब यह है कि गलत करेंगे। जबकि नाैतोड़ नियम के तहत जिस व्यक्ति के पास 20 बीघा से कम जमीन है, वह इसके लिए पात्र है। आज तक कोई गड़बड़ी नाै तोड़ नियम के तहत नहीं हुई। नेगी के अनुसार राज्यपाल ने पूछा है कि नाै तोड़ के कितने मामले लंबित हैं। नेगी ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम को निलंबित किया गया था, उसमें भाजपा ने नाै तोड़ दिए नहीं। इसलिए आज नाै तोड़ के लंबित मामलों की संख्या 12742 है, जो प्रोसेस में है। आज भी नाै तोड़ के लिए आवेदन कर सकते हैं। राजभवन की ओर से सभी केसों का नाम-पता मांगा गया है, जिसे उपलटध करवाया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि उससे फर्क क्या पड़ने वाला है? नेगी ने कहा कि नाै तोड़ मामलों का डाटा प्राप्त किया जा रहा है। इसका बस्ता राजभवन भेज दिया जाएगा। राज्यपाल से दो साल के लिए वन संरक्षण अधिनियम में छूट मांगी गई है।

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