आवाज ए हिमाचल
बिलासपुर। प्रदेश के ठंडे क्षेत्रों में स्थित ट्राउट जल क्षेत्र में ट्राउट मछली आखेट पर चार माह तक प्रतिबंध रहेगा। इसके लिए मत्स्य पालन विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं। ट्राउट जल क्षेत्र में ट्राउट आखेट पर नजर रखने को लेकर मत्स्य पालन विभाग द्वारा विशेष कर्मचारी बल भी तैनात किया गया है।
मत्स्य पालन विभाग द्वारा खासकर ठंडे क्षेत्रों में कार्यरत विभागीय कर्मचारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं। मत्स्य पालन विभाग द्वारा मछली के प्रजनन को बढ़ावा देने और इस प्राकृतिक संसाधन को संरक्षित रखने के उद्देश्य से यह ट्राऊट आखेट पर प्रतिबंध लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार मत्स्य पालन विभाग द्वारा पहली नवंबर से 28 फरवरी, 2025 तक ट्राउट मछली पकडऩे पर प्रतिबंध लगाया गया है। मत्स्य पालन विभाग की मानें, तो प्राकृतिक प्रजनन के समय ट्राउट मछलियों के संरक्षण के लिए यह प्रतिबंध आवश्यक होता है।
इससे जलाशयों में प्राकृतिक बीज संग्रहण हो सके। चार माह के प्रतिबंध से हिमाचल प्रदेश के मत्स्य संसाधनों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी और प्रदेश में ट्राउट मछली का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।
मत्स्य विभाग ने ट्राउट जल क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता प्रबंध किए हैं। हिमाचल प्रदेश मत्स्य क्षेत्र नियम 2020 के अनुसार प्रदेश में लगभग 600 किलोमीटर में फैली प्रमुख नदियों और उनकी सहायक धाराओं में ट्राउट पकडऩे पर यह प्रतिबंध लागू किया गया है। इनमें शिमला जिला की पब्बर नदी, कुल्लू में ब्यास, सरवरी, पार्वती, गड़सा और सैंज नदियां, मंडी और कांगड़ा जिला की ऊहल नदी और चंबा का भंडाल नाला शामिल है। मत्स्य पालन विभाग की ओर से पर्यटकों और मछली पकडऩे के शौकीनों को इस प्रतिबंध के बारे में जानकारी विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से मुहैया करवाई जा रही है।
मत्स्य पालन विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि प्रदेश के ठंडे जल क्षेत्रों में ट्राउट मछली के शिकार पर चार माह प्रतिबंध रहेगा। वहीं सरकारी ट्राउट मछली फार्मों और निजी फामों रेसवेज से ट्राउट मछली की बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। प्रतिबंध केवल ट्राउट जलों, नदियों, नालों में ट्राउट मछली पकडऩे पर लागू होगा।