पूज्य मौनी बाबा कुटिया फतेहपुर में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य पर करवाई गीताकंठ प्रतियोगिता

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कनिष्ठ वर्ग में सहज गोस्वामी और वरिष्ठ वर्ग में सुकृति ने प्राप्त किया प्रथम स्थान

भगवान श्रीकृष्ण ही समस्त संसार के सर्वोत्तम शिक्षक- वेदप्रकाश अग्नि

आवाज ए हिमाचल

फतेहपुर, नादौन। पूज्य मौनी बाबा की 31 वीं ब्रह्मलीन वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर फतेहपुर कुटिया में 31 अगस्त से 7 सितंबर तक चलने वाले साप्ताहिक कार्यक्रम रामचरितमानस कथा के आयोजन के बीच गीता और उसमें निहित ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गीताकण्ठ प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ, जिसमें कनिष्ठ वर्ग और वरिष्ठ वर्ग के आधार पर प्रतियोगिताएं संपन्न की गई।

हरिद्वार कलखर से पधारे व्यास आचार्य गोविंद देव चैतन्य महाराज की राम कथा के उपरांत यह आयोजन किया गया, जिसका मंच संचालन संस्कृत अध्यापक आचार्य नरेश मलोटिया किया गया।

बता दें कि इस प्रतियोगिता में धर्मशाला से आए हुए वेदप्रकाश अग्नि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा पूज्य मौनी बाबा आध्यात्मिक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. रत्नचंद शर्मा की अध्यक्षता में यह संपूर्ण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में राजेश कपिल डॉ. अमित शर्मा “सरोच” तथा संजीव कुमार ने अपनी सेवाएं प्रदान की। इस प्रतियोगिता में हाई कोर्ट शिमला के वरिष्ठ अधिवक्ता व डीडीएम सांई कॉलेज कल्लर जलाड़ी के संस्थापक भुवनेश शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिनका समाज सेवा और आध्यात्मिक कार्यों में हमेशा विशेष सहयोग रहता है। इस उपलक्ष्य पर कार्यक्रम की रूपरेखा के निर्धारण और देखरेख में विशेष सहयोग कर रहे लिपिक निकेश कुमार व जेबीटी अनिल कुमार भी उपस्थित रहे। इस प्रतियोगिता के कनिष्ठ वर्ग में 18 व वरिष्ठ वर्ग में 7 बच्चों ने भाग लिया। इन सभी 25 बच्चों के अतिरिक्त अन्य 10 छात्र-छात्राओं ने भी गीता के श्लोक सुनाए। यह सभी बच्चे विभिन्न विद्यालयों में अध्ययन करते हैं। वरिष्ठ वर्ग में डीसीएस स्कूल ज्वालामुखी की सुकृति ने प्रथम स्थान, केसंविवि वेदव्यास परिसर के दिव्यांशु ने द्वितीय तथा रावमापा बड़ा की माही बलिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

 

कनिष्ठ वर्ग में रापापा धनपुर के सहज गोस्वामी ने प्रथम, मन्नत ने द्वितीय तथा आराध्या भारद्वाज ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। मुख्यातिथि अग्नि ने समस्त छात्र-छात्राओं सहित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गीता केवल एक ग्रंथ न होकर जीवन जीने का मूलभूत आधार है। गीता में निहित ज्ञान से संपन्न होकर मनुष्य अपने आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक जीवन का उत्थान कर सकता है। इस तरह की प्रतियोगिताएं समाज के लिए परम आवश्यक हैं तथा यह भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति प्रेरित व प्रोत्साहित करती हैं।

उन्होंने कहा कि गीता में निहित ज्ञान को जन जन तक पहुंचाने वाले भगवान श्रीकृष्ण ही समस्त संसार के सर्वोत्तम शिक्षक हैं। प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को स्मृति चिह्न, सर्टिफिकेट व उपहार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों को भी सर्टिफिकेट व उपहार प्रदान किए गए।

 

 

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