स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरक नायिका थी सुभद्रा कुमारी चौहान : डॉ. राजकुमार

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आवाज ए हिमाचल

कोहली, शाहपुर। राजकीय महाविद्यालय शाहपुर में वीरवार को इतिहास विभाग के सौजन्य से एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में हिमाचल प्रदेश से विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला के इतिहास विभाग अध्यक्ष डॉ. राजकुमार ने शिरकत की।

इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विश्वजीत सिंह (संगोष्ठी अध्यक्ष) इतिहास विभाग से प्रोफेसर हरीश संगोष्ठी संयोजक, प्रो. निशेष कुमार, प्रोफेसर सुरेंद्र अत्री, डॉक्टर सतीश ठाकुर, डॉ. केशव सहित समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।

डॉ राजकुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की आजादी के संघर्ष में राष्ट्रीय चेतना की सजग महान कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के गांव निहालपुर में हुआ था। विद्यार्थी जीवन से ही सुभद्रा कुमारी चौहान को साहित्य और कविता लेखन में बेहद रुचि थी। उनके जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना से हुआ जैसे आहत होकर 1920 में गांधी द्वारा प्रारंभ किए गए और सहयोग आंदोलन में सत्र रूप में भाग लेने वाली प्रथम महिला स्वतंत्रता सेनानी बनी।

उन्होंने कविता लेखन का प्रयोग अस्त्र की तरह आंदोलन में किय। ब्रिटिश विरोधी साहित्य लिखा कई बार जेल गई और यातनाएं सहन की I 18 मार्च 1923 को झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व कर जबलपुर जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय किया।

डॉ. राजकुमार ने सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता “जलियांवाला बाग में बसंत” का मार्मिक वर्णन किया तो संगोष्ठी में उपस्थित श्रोता भावुक हो गए।

डॉ राजकुमार ने बताया कि सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय आंदोलन की प्रेरक नायिका थी।

 

 

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