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बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। कांगड़ा के प्रसिद्ध साहित्यकार रमेश चंद्र मस्ताना ने अपने पिता लच्छमन दास ‘मस्ताना’ के जन्म शती वर्ष पर एक बहु भाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गाय। इस दौरान उनकी दो पुस्तकें बिखरे फूल और दूसरी कांगड़ी-प्हाड़ी-च प्रकाशत साहित्त : रीत-परम्परां कनैं त्याह्स, जिसमें कांगड़ी भाषा में कांगड़ा जनपद के समस्त साहित्यकारों के द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विवेचनात्मक एवं विवरणात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, का लोकार्पण किया गया।
ओम पैलेस रैत में सम्पन्न हुए समारोह की अध्यक्षता पंडित वेदप्रकाश शर्मा ने की। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में बाल-कवि क्रियांश एवं अर्किता रहे। रमेश चन्द्र ‘मस्ताना’ द्वारा जहां सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं आभार प्रकट किया गया। वहीं पुस्तकों के लोकार्पण के उपरांत बिखरे फूल पर वीरेन्द्र शर्मा वीर द्वारा लिखा गया वक्तव्य प्रभात शर्मा द्वारा पढ़ा गया। कांगड़ी-प्हाड़ी की पुस्तक पर डाॅ. युगल किशोर डोगरा द्वारा वक्तव्य रखा गया।
बहुभाषी कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि अर्किता एवं क्रियांश के द्वारा चन्दामामा पर कविता प्रस्तुत करके किया गया, वहीं अन्य उपस्थित कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं के साथ-साथ बिखरे फूल संकलन से कुछ कविताओं का पाठ कर लच्छमन दास ‘मस्ताना’ जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस मौके पर प्रमुख रूप से अंशुल राणा एवं अखिलेश कौंडल के साथ प्रतिभा शर्मा, हरिकृष्ण मुरारी, शंकर सान्याल, डॉ गौतम शर्मा ‘व्यथित’, ब्रजेश नन्दन, डॉ कंवर करतार, संजय मेहरा रोशन, गोपाल शर्मा, डॉ कुशल कटोच, द्विजेन्द्र द्विज, विनोद ध्रब्याल राही, रजनीश अवस्थी, उदयवीर भारद्वाज, शक्ति चन्द राणा, अश्वनी धीमान, अर्चना शर्मा, पवनेन्द्र पवन, सतपाल घृतवंशी, असीम अग्रवाल, प्यार चन्द सिप्पी, जोगिन्द्र राणा, शिव सान्याल एवं हाकम भारद्वाज आदि मौजूद रहे।