बागबानों को झटका, गला-सड़ा सेब नहीं लेगी सरकार

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आवाज ए हिमाचल

शिमला। प्रदेश सरकार के सुधारवादी कदम बागबानों पर भारी पड़ेंगे। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत बागबानों से अभी तक हर तरह के सेब की खरीद की जाती थी, जो भविष्य में नहीं होगी। यानी गला-सड़ा, दागी या फिर पेड़ों से गिरा हुआ सेब अब सरकार की एजेंसियां नहीं खरीदेंगी। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत 28 नए नियम लागू कर दिए गए हैं, जिनके मुताबिक ही अब खरीद की जाएगी।

इससे प्रदेश के बागबानों को बड़ा झटका लगेगा, जो 12 रुपए प्रति किलो की दर से एचपीएमसी या हिमफेड को अपना सेब बेच देते थे। मनमर्जी से अब बागबान सेब नहीं बेच सकेंगे, जिसके लिए उन्हें मापदंडों को पूरा करना होगा।

 

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि यदि कोई बागबान तय मापदंडों पर सेब नहीं लाता है और प्रापण केंद्र में कर्मचारियों पर जबरन दवाब बनाया जाता है, तो तुरंत प्रभारी उस केंद्र को बंद कर सकता है। ऐसे में मामलों में सरकार कोई ढील नहीं देगी। अब नए फैसले के अनुसार सरकारी एजेंसियां सेब खरीदेंगे, जिसमें सेब की खरीद कम होगी और सरकार का ज्यादा पैसा भी नहीं लगेगा।

बागबानी विभाग की बैठक में हुए ये महत्त्वपूर्ण फैसले

 बागबानी विभाग के सचिव सी पालरासू की अध्यक्षता में शुक्रवार को बैठक हुई, जिसमें कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इसमें फैसला हुआ है कि क्षतिग्रस्त सेब नहीं खरीदा जाएगा। वहीं गले-सड़े, पक्षी का खाया हुआ या दागी सेब प्रापण केंद्रों में ही वापस कर दिया जाएगा। ऐसे फलों को यदि प्रापण केंद्रों पर बागबान जबरन रख देंगे, तो सक्षम अधिकारी उसे वहीं नष्ट कर देगा और उसका कोई भुगतान नहीं होगा।

सस्क्रैब या इथरल स्पे्र किए हुए फल का प्रापण मंडी मध्यस्थता योजना के तहत नहीं किया जाएगा। साथ ही 51 एमएम से कम डायामीटर वाले फल सरकार द्वारा नहीं खरीदे जाएंगे।

 

प्रत्येक बागबान से फल उसके पास उपलब्ध भूमि तथा फलदार पौधों के अनुपात में ही लिए जाएंगे, जिसके लिए उद्यान कार्ड तथा जमाबंदी में उसके नाम पर दर्ज भूमि की जांच भी की जाएगी। उद्यान कार्ड के साथ बागबान के हस्ताक्षर भी लिए जाएंगे, ताकि कोई अनियमितता न हो।

ससंबंधित प्रापण केंद्र पर ही फल लिए जाएंगे। किसी दूसरी जगह पर नहीं लेंगे। फल न ही ज्यादा पका हो और न ही ज्यादा कच्चा, क्योंकि ऐसा फल भी नहीं लिया जाएगा।

 

इसके साथ एक बोरी में केवल एक ही किस्म का फल लिया जाएगा, जिस पर अभी तक कोई रोक नहीं थी। वहीं, फलों की खरीद केवल उत्पादक से होगी, क्योंकि ठेकेदारों या अन्य प्रतिनिधियों से फल नहीं लिए जाएंगे।

 

फल प्रापण केंद्र के प्रभारी द्वारा दी जाने वाली तारीख पर ही बागबान फल लेकर आएंगे, वहीं प्रापण केंद्र तक फलों को लाने का पूरा किराया भी बागबानों को ही देना होगा। अन्य शर्तों के अनुसार सेब का प्रापण 35 किलोग्राम जूट की बोरियों या प्लास्टिक क्रेट्स में वास्तविक भार के हिसाब से किया जाएगा।

सएचपीएमसी एवं हिमफेड के प्रभारी सुनिश्चित करेंगे कि बोरियों के ऊपरी हिस्से में लाल व हरी स्याही से मार्क किया जाए, वहीं प्रापण केंद्र का कोड लिखा जाएगा।

 

प्रभारी ही फलों की एवज में रसीद देंगे और तय मापदंड का फल नहीं होगा, तो वे वापस कर सकते हैं। केंद्र प्रभारी की जिम्मेदारी होगी कि वे लिए गए सेब को धूप और बारिश से बचाएं। प्रापण केंद्रों में लिए गए फलों की जानकारी रोजाना हिमफेड या एचपीएमसी को देनी होगी।

 

 

 

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