9 मार्च को आंगनबाड़ी और 17 मार्च को सीटू करेगी प्रदर्शन : भूपेंद्र सिंह

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आवाज ए हिमाचल 

20 जनवरी।सीटू मज़दूर संगठन की मंडी ज़िला कमेटी की मीटिंग कामरेड तारा चंद भवन मंडी में आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने की और राज्य महासचिव प्रेम गौतम भी बैठक में उपस्थित हुए।उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार मज़दूर विरोधी फ़ैसले ले रही है और इस बजट में तो इस सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने का फैसला कर दिया है जिसके चलते अब पचास प्रतिशत सरकारी स्कूल भी निजी हाथों में देने की योजना है। इसके अलावा सरकार ने मज़दूरों के हकों की रक्षा के लिए बने श्रम कानूनों को निरस्त करके चार श्रम कोड बना दिये हैं जिसके ख़िलाफ़ मजदूरों ने आंदोलन तेज़ करने की योजना बनाई है और आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर तीन दिनों की हड़ताल की जाएगी।

इसके अलावा सीटू कृषि बिलों के ख़िलाफ़ चल रहे किसानों के आंदोलन का भी पूर्ण समर्थन कर रही है और आने वाले दिनों में भी समर्थन जारी रखा जाएगा। ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह व महासचिव राजेश शर्मा ने कहा कि जलशक्ति मन्त्री महेंद्र सिंह के दबाब में मुख्यमंत्री ने मंडी लेबर ऑफिस के सारे स्टाफ़ को एक साथ बदलने से यहां पर मज़दूरों के पंजीकरण कराने व उनको मिलने वाले लाभों का काम जानबूझकर कर बाधित कर दिया गया है। जिसका सीटू कड़ा विरोध करती है और इसके लिए आने वाले समय में सड़क पर उतर कर भी विरोध किया जाएगा।उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार ने स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को न लगाने का फैसला किया है जबकि यूनियन की ये मांग है कि आंगनवाड़ी केंद्रों को ही प्री नर्सरी केंद्र का दर्जा दिया जाये कियूंकि ये काम वे कई वर्षों से कर रही हैं। इसलिए सीटू से जुड़ी आंगनवाड़ी यूनियन 9 मार्च को केंद्र बंद करेगी और शिमला विधानसभा का घेराव करेगी जिसमें मंडी से एक हज़ार से ज़्यादा व भाग लेंगी।

इसके अलावा सीटू से जुड़ी सभी यूनियनें 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगी उससे पहले सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के बारे 10 से 16 मार्च तक जत्था मार्च भी करेगी।जिसमें रेगुलर व स्थायी रोज़गार देने, ठेका प्रथा बंद करने,काम के 8 से 12 घंटे  न करने, चारों श्रम कोडों को निरस्त करने, कृषि बिलों को वापिस लेने,पेट्रोलियम पदार्थों के दाम कम करने, बढ़ती महंगाई को रोकने, बिजली बिल 2020 को वापस लेने, निजीकरण को रोकने, मनरेगा में 200 दिनों का काम और 300 रु मजदूरी देने, राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के लंबित लाभों को जल्दी जारी करने, ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने और श्रम विभाग मंडी के सभी कर्मचारियों के राजनैतिक आधार पर किये तबादलों को रद्द करने की भी मांग की जाएगी।

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