आवाज़ ए हिमाचल
मंडी, 11 मार्च। लोग अपनों की मौत पर गम के बीच आर्गन डोनेशन के बारे में सोचते तक नहीं। कुछ ही विरले परिवार अपनों की मौत के गम के बीच यह ‘हिम्मत’ दिखाते हैं। ऐसी ही हिम्मत का परिचय मात्र 11 साल की छोटी उम्र में जान गंवाने वाली मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव की नैना के परिवार ने दिखाई है। एक सड़क हादसे के बाद नैना के ब्रेन डैड होने पर परिवार ने उसके अंगदान का फैसला लिया और इस तरह नैना 4 लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर गई।
उसकी दो किडनियां और दो कोर्निया परिवार ने दान किए हैं। पीजीआई में मरीजों की सूची में ही ऐसे मरीज मिल गए जिनके साथ नैना को कोर्निया और किडनी मैच हो गई। कुछ दिन पहले ही लुधियाना के 20 साल के यश पांडे के ब्रेन डैड होने पर उसके परिवार ने भी ऐसा ही हौसला दिखाया था। उसका दिल, किडनी, पैंक्रियाज और कोर्निया परिवार ने दान किया था। यश भी एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हुआ था।
दरअसल, बीते 3 मार्च को सरकाघाट उपमंडल के घीड़ गांव के पास एचआरटीसी बस का एक्सीडेंट हो गया। नैना बस में सवार थी और छोटी बहन और मामू के साथ कुल्लू से घर आ रही थी। इस बस दुर्घटना में नैना के सिर और उसकी छोटी बहन की टांग में गंभीर चोट आई थी। मेडिकल कालेज नेरचौक में उपचार के बाद उसे पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया था, जहां पर डाक्टरों ने उसका ब्रेन डेड डिक्लेयर कर दिया था और उसे लाइफ स्पोर्टिंग सिस्टम पर रखा था।
रोटो पीजीआईएमईआर के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने कहा कि ब्रेन डेड घोषित करने के बाद पीजीआई में परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई। उनकी सहमति के बाद नैना के अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई। अंगदान की प्रक्रिया के बाद पीजीआई ने परिजनों को उनकी बच्ची का शव सौंप दिया।
नैना की किडनी और कॉर्निया 4 लोगों को तत्काल प्रत्यारोपित कर दी गईं। गुर्दे की समस्या से जूझ रहे 2 लोग काफी समय से डायलिसिस पर थे। उन दोनों को किडनी प्रत्यारोपित कर दी गई। वहीं, 2 नेत्रहीन लोगों को कॉर्निया प्रत्यारोपित कर दी गई, ताकि वह दुनिया देख सकें।