आवाज़ ए हिमाचल
22 फरवरी।265 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में फर्जी संस्थान खोलकर 29 करोड़ की छात्रवृत्ति हड़पने के मामले में गिरफ्तार तीनों निदेशकों से पूछताछ में सीबीआई को कई अहम सुराग मिले हैं। घोटाले के मुख्य आरोपी अरविंद राज्टा की पत्नी बबिता राज्टा ने माना कि वह खुद छात्रवृत्ति का हिस्सा लेने शिमला और चंडीगढ़ जाती थी। करोड़ों की इस राशि को एक शेल कंपनी के जरिये डायवर्ट किया जाता था।इस दौरान उसने नाइलेट से मान्यता के नाम चल रहे नौ संस्थानों को मिली करीब 29 करोड़ की छात्रवृत्ति में से अपना पूरा हिस्सा लिया। इसके लिए कई होटलों और छोटा शिमला के एक बड़े शॉपिंग मॉल में मिलने का समय तय किया जाता था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में छात्रवृत्ति का पैसा डायवर्ट करने के लिए कंपनी खरीदी थी। एएसए सॉल्यूशन नाम की इस कंपनी को खरीदने का मकसद छात्रवृत्ति की करोड़ों की राशि को डायवर्ट करना था।यह एक शेल कंपनी थी। मामले से जुड़े कई अहम खुलासे भी उन्होंने पूछताछ में किए हैं। इसके अलावा दोनों निदेशकों से भी उनके संपत्ति के ब्योरों समेत कई महत्वपूर्ण जानकारियां केंद्रीय जांच एजेंसी ने जुटाई हैं। अब जांच एजेंसी इस बात का पता लगा रही है कि करोड़ों की छात्रवृत्ति की रकम से उन्होंने कहां-कहां संपत्तियां बनाई हैं।
कब्जे में लिए दस्तावेजों की जांच शुरू, बैंक अफसरों से हो रही पूछताछ
सीबीआई ने हाल ही में पांच जगह दी दबिश के दौरान कब्जे में लिए दस्तावेजों की जांच भी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में कई और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। इसमें राज्टा के करीबी और बैंकों के अफसर शामिल हैं। एजेंसी इस मामले में बैंक अफसरों से पैसों के लेन-देन और कमीशन को लेकर सवाल-जवाब कर रही है। बैंक अफसरों पर आरोप है कि इन्होंने संस्थान के निदेशकों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से करोड़ों की राशि को उनके खातों में ट्रांसफर किया। इसमें फर्जी वाउचर से लेकर कई अनियमितताएं बरती गईं।