आवाज़ ए हिमाचल
05 जनवरी।धर्मशाला बृद्ध आश्रम में रह रहे एक 65 साल के बुजुर्ग धन बहादुर ने नई पेंशन स्कीम कर्मचारी एसोसिएशन कांगड़ा जिला प्रधान रजिंद्र मन्हास के समक्ष अपना दर्द बयान करते हुए बताया कि वे 1990 में डेली बेज के रूप में वन निगम चौपाल में कार्यरत थे तथा उसके बाद उनका तबादला 2006 में रामपुर डिवीज़न में हो गया उसके बाद 2006 से 2011 तक रामपुर के तहत नारकंडा में चौकीदार की पोस्ट पर कार्य करते रहे। 2011 में उन्हें रेगुलर करके हेल्थ विभाग में भेजा गया और इनकी तैनाती शिमला परिमहल में चौकीदार की पोस्ट पर हुई, जहां से वे 2012 में रिटायर हो गए।उन्हें इनके कटे ईपीएफ में से 1176 रुपए पेंशन मिल रही है। 22 साल कच्ची पक्की नौकरी करने के बाद आज उन्हें बृद्धाश्रम में आना पड़ा। आंखें भरते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक सम्मानजनक पेंशन उन्हें मिल जाती तो वे बुढ़ापे में बृद्ध आश्रम क्यो आते।कांगड़ा जिला प्रधान रजिंद्र मन्हास ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी बड़े -बड़े सपने लेकर सरकारी सेवा में आता है, परंतु आज सरकार की गलत नीतियों ने एक रिटायर कर्मचारी का बुढापा बिल्कुल असुरक्षित कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस देश में जहां महज कसम लेने के बाद ही नेता 80 हजार पेंशन के हकदार हैं,वही 21 साल नौकरी करने वाले को मात्र 1176 पेंशन देना कहाँ का इंसाफ है।जिला प्रधान ने सरकार को आगाह करते हुए चेतावनी दी है कि अगर सरकारी कर्मचारियों के साथ न्याय नही किया गया तो संगठन कड़े अधिक कड़े कदम उठाएगा।