आवाज़ ए हिमाचल
1 मार्च। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए लोगों ने दिल खोलकर चंदा दिया है और 44 दिन के अभियान में 2100 करोड़ रुपए इकट्ठा किए जा चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में अंदाजा लगाया गया था कि मंदिर बनने में 300.400 करोड़ और पूरे मंदिर परिसर को बनाने में 1100 करोड़ का खर्च आएगा। इस हिसाब से मंदिर के लिए आया चंदा कुल लागत का लगभग दोगुना है। इस अभियान के शुरू के समय 1100 करोड़ रुपए जुटाने का अनुमान था, लेकिन जनता की अभूतपूर्व भागीदारी की वजह से लगभग 1000 करोड़ रुपए ज्यादा आ गए। विश्व हिंदू परिषद ने 15 जनवरी से निधि समर्पण अभियान शुरू किया था।
44 दिन में टारगेट पूरा होना था। जिन राज्यों में अभियान देर से शुरू हुआ था, वहां चंदा जुटाया जा रहा है। ऐसे में धनराशि और बढ़ना तय है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि का कहना है कि सभी वर्गों के लोगों ने बढ़-चढ़कर इसमें भाग लिया। विशेषकर धर्म दीवार को अनदेखा करके दूरदराज के गांवों से खूब चंदा आया। उन्होंने बताया कि शनिवार शाम तक कुल चंदा 2100 करोड़ की राशि पार कर गया।
इस से भी अधिक हो सकती है मंदिर की लागत
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि का कहना है कि भविष्य में नई योजनाओं के हिसाब से लागत बढ़ सकती है। ऐसा हुआ तो चंदा अभियान फिर चलाया जा सकता है। वहीं, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि अभी कोई सीमा नहीं है कि इसकी लागत कितनी होगी। मंदिर बनने के बाद इसका विस्तार भी होना है। विदेशों में रहने वाले भी वहां यह अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं।
पैसे के दुरुपयोग पर संतों ने दिया बयां
अयोध्या के संतों ने ट्रस्ट को सुझाव दिया है कि अधिशेष पैसे से अयोध्या का विकास किया जाए। उन्होंने आगाह किया कि करोड़ों राम भक्तों ने जो पैसा दान किया है, उसका दुरुपयोग न होने पाए। तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि ट्रस्ट को माता सीता के नाम पर अयोध्या में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने और मंदिर शहर में दूध की मुफ्त आपूर्ति के लिए एक गौशाला स्थापित करने के लिए अतिरिक्त धन का उपयोग करना चाहिए।