1989 में रिहा किए 70 आतंकियों ने ही बरपाया था कश्मीर में कहर : पूर्व डीजीपी

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आवाज़ ए हिमाचल 

जम्मू, 19 मार्च। द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर शुरू हुई बहस के बाद अब जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववादी गतिविधियों के कई घिनौने सच सामने आने लगे हैं। अब जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. शेषपाल वैद ने नया राजफाश करते हुए कहा कि वर्ष 1989 में तत्कालीन सरकार और अधिकारियों के गलत और अपरिक्त फैसले के कारण 70 आतंकियों को छोड़ दिया गया। बाद में यही आतंकी विभिन्न संगठनों के प्रमुख कमांडर बने और उसके बाद की कहानी सभी जानते हैं।

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31 दिसंबर 2016 से 6 सितंबर 2018 तक पुलिस के प्रमुख रहे डा शेष पाल वैद 30 अक्टूबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने द कश्मीर फाइल्स फिल्म पर शुरू हुुई बहस का जिक्र करते हुए कहा आतंकी हिंसा के लिए, कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि जिस समय आतंकवाद सिर उठा रहा था, उस समय कई गलत और अपरिपक्व फैसले लिए जिनका खमियाजा आज तक भुगता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे आज भी अच्छी तरह याद है कि 1989 मेें पुलिस ने जान हथेली पर रखकर कश्मीर में अलग अलग अभियान चलाकर 70 आतंकी पकड़े थे। यह सभी आतंकी उस समय पाकिस्तान से विध्वंसकारी गतिविधियों की ट्रेनिंग लेकर लौटे थे।

कश्मीर में त्रेहगाम कुपवाड़ा का मोहम्मद अफजल शेख भी शामिल था। अन्य आतंकियों में रफीक अहमद अहंगर, मोहम्मद अयूब नजार, फारूक अहमद गनई, गुलाम मोहम्मद गोजरी, फारूक अहमद मलिक, नजीर अहमद शेख, गुलाम मोहिउद्दीन तेली के नाम उल्लेखनीय हैं। मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि आखिर क्या कारण था कि इन्हें रिहा कर दिया। रिहा होने के बाद इनमें से कइयों ने नए आतंकी संगठन तैयार किए और कइयों ने अपने अपने इलाकों में जाकर नए आतंकियों की फौज तैयार कर, घाटी में कत्लेआम शुरू कर दिया था।

 

डा. वैद के मुताबिक, उस समय मैं एएसपी था, इसलिए अपने वरिष्ठजनों से, तत्कालीन सत्ताधारी वर्ग से कोई सवाल नहीं कर सकता था। यह कदम तत्कालीन प्रदेश सरकार और तत्कालीन केंद्र सरकार की सहमति से ही उठाया गया होगा। इस फैसले से आतंकियों और उनके आकाओं में जम्मू कश्मीर व भारत के तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी का संदेश होगा। किन लोगों ने यह फैसला लिया, उन्होंने क्या सोचा होगा, मैं उस पर अभी कुछ कहने में समर्थ नहीं हूं। इसका जवाब वही लोग देने में समर्थ हैं, जो उस समय नीति निर्धारक थे।

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