17 मार्च के विरोध प्रदर्शन के लिए सीटू ने कसी कमर, विभिन्न जिलों के दौरे शुरू

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आवाज ए हिमाचल
14 मार्च: 17 मार्च को प्रदेश विधानसभा के बाहर प्रस्तावित धरने को लेकर सीटू नेता समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न जिलों का दौरा करने लगे हैं । सीटू का यह धरना प्रदर्शन केन्द्र  सरकार  द्वारा   समाप्त  किये  गए  44 श्रम  कानूनों   को  बहाल  करने  व इनकी  जगह  लागू  की  गयी  मजदूर  विरोधी  4 श्रम संहिताओं  को  वापिस  करवाने  की  मांग  को  लेकर प्रस्तावित है ।
17 मार्च  2021 को  शिमला  मे  विधान  सभा  पर सीटू द्वारा किये जाने वाले  विशाल बिरोध  प्रदर्शन  के  लिए  व्यापक जन अभियान के लिए सीटू  के  राज्य  महासचिव प्रेम गौतम सहित तमाम मजदूर  नेता  प्रदेश  के  विभिन्न ज़िलो के दौरे कर  रहे  हैं I  इसी कड़ी मे  सीटू नेता प्रेंम गौतम जिला कांगडा सीटू के अध्यक्ष  केवल कुमार, जिला सचिव रविन्द्र कुमार, जिला वित  सचिव अशोक कटोच ने बैजनाथ, पपरोला, पालमपुर व  ज़िया मे दौरा किया और विभिन्न मजदूर यूनियनो की  आम बैठके आयोजित कर मजदुरों को केन्द्र की मजदूर  किसान व आम जनता विरोधी नितिंयों से अवगत  कराया और मजदुरों का 17 मार्च के विधानसभा  प्रदर्शन को सफल बनाने का आहवान किया I
यह जन  अभियान कल भी जारी  रहेगा I सीटू नेता ने बताया कि  श्रम कानुनों मे जो भी बदलाव मोदी के नेतृत्व मे चल  रही भाजपा सरकार ने किये हैं वह पुंजीपतियों  को  ही  फायदा देने के लिए किये गए हैं और  इन  बदलावों  से  मजदूरो  को  गुलामी  की  ओर  धकेल  दिया  गया  है ।उनकी  आमदनी  पर  डाका  डाल  कर  धन्ना  सेठों  की  तिजौरिया  भरने में सरकार दिन रात जुटी है I  इसके  अलावा  केन्द्र  सरकार  ने  तीन  काले  कृषी  कानून  पारित  करके  के  किसानो   पर  भी  हमला  किया  है  जिस  से  किसानो   की  ज़मीनो को  कार्पोरेट  द्वारा  हथियाने  का  रास्ता  साफ  हो  गया  हैं ।
आम  जनता  की  खाद्य सुरक्षा  खतरे  मे  पडने  जा  रही  हैं । सरकार  ने  देश  के  मजदूरों  व  किसानो  पर  उनके  के  तमाम  अधिकार  छीनने   के  लिए कोरोना  संकट  का  समय  चुना  जब देश  भर  के  मजदूर  किसान  व  अन्य  जनमानस कोरोना महामारी की चपेट मे ज़िन्दगी और  मौत की लडाई लड रहे हैं । सरकार की नई 4 श्रम  सहिताओ  के  दुष्प्रभाव  के  चलते  मजदुरों  की  शिफट  अब  8 घंटे  की  बजाये  12 घंटे  होगी  जिस से  मजदुरों  पर  काम  का  बोझ  बढ़ेगा  और  व्यापक  छंटनी  होगी,  नियमित   रोजगार  की  जगह  अब  फिक्स  टर्म  रोजगार  होगा  जिस  मे  निर्धारित अवधि  के बाद रोजगार का अंशदान 12 प्रतिशत  से  घटा  कर  10 प्रतिशत कर दिया  हैं ।
इससे मालिकों  को  करोडो  का फायदा होगा  और मजदुरों  का  हर  महीने  4 प्रतिशत कम अंशदान जमा होने से उन्हे घाटा होगा । इसके  अलावा  यूनियनों का पंजीकरण मनमाने तौर पर रदद करने, हड़ताल में जाने पर जुर्माना करने व जेल भेजने जैसे लोकतंत्र  विरोधी  प्रावधान शामिल  है। हर महीने 7 तारीख  से  वेतन  देना  अब  अनिवार्यता  नही  है । 300 की  संख्या  तक  के  कारखानो  मे  तालाबन्दी  के लिए  अब  सरकार की  इजाजत  की  बाध्यता  नही  रहेगी ।  जहां  40 से  कम  मजदूर  काम  करते  हैं  वहां  फैकट्री  एक्ट, औद्योगिक विवाद, मोडल स्टैडिंग आर्डरज़, न्यूनतम  वेतन, वेतन भुगतान, ESI  EPF  मातृत्व  लाभ, कर्मचारी मुआवजा, अंतर्राज्यीय मजदूर,  दुकान एवं व्यवसायिक  स्थापना, समान  काम के  लिए  समान वेतन व बाल श्रम जैसे 14 कानून अब लागू नही  होंगे  जिससे बडे  पैमाने  पर मजदूर श्रम कानूनो से अब तक मिलते आये  लाभों  से वंचित  हो  जायेगे । इन  मजदूर  विरोधी  कानूनों  से  मेहनतकश  मजदूर  ज़मात मे भारी रोष व्यापत  है और वह लगातार इनके  खिलाफ  देश  व्यापी  आंदोलन  कर  रहे  हैं । सीटू नेता ने कहा कि 26 नवम्बर  2020 को करोडो मजदूरों ने एक दिन की   अखिल भारतीय हड़ताल की जिसका नेतृत्व  सीटू  समेत  देश  की  ट्रेड  यूनियनो ने किया ।
30 दिसम्बर  2020 को कार्य स्थलों पर प्रदर्शन किये गए और 8 जनवरी 2021 को भी देश भर मे विरोध प्रदर्शन  किये  गए । अब इसी कडी मे 17 मार्च को शिमला मे विधान  सभा को घेरा जायेगा  जिसमें प्रदेश भर के हजारों  मजदूर भाग लेंगे  । प्रदर्शन  के  माध्यम से सीटू  ने  हिमाचल  के  मजदूरों  की  मांगो  को  भी  उठाने  का  फैसला  लिया  है । सीटू  की मांग है कि हिमाचल सरकार सभी मजदूरों को 21000 रूपये  न्यूनतम  वेतन दे और सभी स्कीम कर्मी आंगंन वर्कर  हेल्पर, आशावर्कर व मिड डे मील वर्कर को भी  न्यूनतम  21000 रूपये  वेतन  दिया  जाये  I  मनरेगा मे दिहाडी  लगाने  वालों  को साल मे  200 दिन  के रोजगार की गारंटी  हो तथा इन्हें हिमाचल सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम  दिहाडी  दी  जाये  I आउट सोर्स कर्मियों  को  रेगुलर करने के लिए निति बनाई जाये और इनकी छंटनी पर  रोक लगे  I  समान काम के लिय समान  वेतन का  सिद्धांत लागू किया जाये  I   2003 के बाद सरकारी  नौकरी मे लगे सभी कर्मचारियों  के  लिए  पुरानी  पेंशन  बहाल की जाये ।  इन मांगो को भी 17 मार्च  की  रैली  के माध्यम से उठाया जायेगा  I जिला  कांगडा  से  भी  सीटू  से  जुडी  तमाम  यूनियनों   के  मजदूर  शिमला  के  प्रस्तावित  विरोध  प्रदर्शन  मे  भाग  लेंगे  I

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