आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। सरकार ने देश में उत्पादित खनिज गैस के मूल्य के निर्धारण के दिशा-निर्देशों में बदलाव करने और मूल्यों पर उच्चतम तथा न्यूनतम सीमा लागू करने का फैसला किया, जिससे घरेलू उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए गैस 7-10 प्रतिशत तक सस्ती होने का अनुमान है। अक्तूबर, 2014 में निर्धारित पिछले दिशा-निर्देशों में संशोधन करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के इस निर्णय की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि अब सरकारी तेल और गैस उत्खनन कंपनियों द्वारा उनकी पुरानी परियोजनाओं से प्राप्त की गयी गैस कीमत भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल के दाम के साथ जोडऩे का फैसला किया गया है।
उन्होंने इस निर्णय को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री की ओर से तोहफा बताते हुए कहा कि नए फार्मूले के तहत प्रशासित मूल्य व्यवस्था पीएम के तहत आने वाली गैस का मूल्य भारतीय बास्केट के कच्चे तेल के मूल्य का 10 प्रतिशत रखा जाएगा। अभी तक गैस का मूल्य अमेरिका , कनाडा , रूस और ब्रिटेन जैसे गैस की अधिकता वाले देशों के चार गैस व्यापार केंद्रों पर गैस के औसत भारांकित मूल्य के अनुसार तय होता रहा है।
वर्तमान फार्मूले के तहत पीएम की गैस का मूल्य इस समय 8.57 डॉलर प्रति यूनिट( एमएमबीटीयू) है। नए फार्मूले के तहत गैस के न्यूनतम और अधिकतम मूल्य का दायरा 4 डालर प्रति यूनिट से 6.5 डालर प्रति यूनिट रखा गया है। श्री ठाकुर ने बताया कि इससे उपभोक्ताओं और गैस उत्पाद को दोनों के हितों का संरक्षण होगा। उन्होंने कहा कि गैस मूल्य की समीक्षा अब हर माह की जाएगी, जबकि पुराने दिशा निर्देशों के तहत समीक्षा छह माह में एक बार की जाती थी।
गैस मूल्य पर निर्धारित उच्चतम सीमा की समीक्षा 02 वर्ष में की जाएगी। पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने बताया कि रेशम गहरे समुद्र और कठिन क्षेत्रों से निकाले जाने वाली गैस के मूल्य निर्धारण फार्मूले में बदलाव नहीं किया गया है। श्री जैन ने बताया कि नए फार्मूले करके उर्वरक और बिजली कारखानों को भी सस्ती गैस मिल सकती है। सरकार इस संबंध में अधिसूचना कल तक जारी कर देगी। इस निर्णय से दिल्ली में सीएनजी की कीमत 79.56 रुपए प्रति किलो से घटकर 73.59 रुपए और पाइप से मिलने वाली रसोई गैस प्रति यूनिट 53.59 रुपए से कम होकर 47.59 रुपए यूनिट होगी। सरकार ने यह फैसला किरीट पारेख समिति की सिफारिशों के आधार पर किया है।