आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल सरकार छह हजार अनाथ बच्चों की पालक बन गई है। इन बच्चों के लिए सरकार 101 करोड़ रुपए का कोष लेकर आई है। इस कोष का इस्तेमाल इन बच्चों की पढ़ाई, तकनीकी कोर्स और जेब खर्च के तौर पर होगा। न सिर्फ अनाथ, बल्कि एकल या विधवा नारी की मदद को भी सरकार हाथ बढ़ाने जा रही है। इस कोष को ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष’ का नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को साल के पहले दिन इस कोष की स्थापना का ऐलान किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोष की शुरुआत के तौर पर सभी 40 विधायक अपनी पहली सैलरी से एक-एक लाख रुपए की राशि कोष में जमा करवाएंगे। केबीसी फेम अरुणोदय ने इस कोष के लिए 11 हजार रुपए की राशि चेक के माध्यम से प्रदान की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जिन बच्चों का सहारा छिन चुका है। सरकार उनके लिए माता-पिता की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के पहले दिन ही उन्होंने शिमला में बालिका देखभाल संस्था, टूटीकंडी का दौरा कर इस संस्थान से संबंधित विभाग की कार्य प्रणाली को जाना था।
उन्होंने कहा कि 28 दिसंबर को नारी सेवा सदन और वृद्ध आश्रम मशोबरा का भी निरीक्षण किया। उन्होंने महसूस किया कि बेसहारा बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्धजनों के लिए अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों के मां-बाप नहीं, उनके लिए सरकार ही माता-पिता हैं। संस्थागत देखभाल के लिए बाल देखभाल संस्थाओं, नारी सेवा सदन, शक्ति सदन और वृद्ध आश्रमों में रह रहे आवासियों को मुख्य त्योहार मनाने के लिए 500 रुपए का उत्सव अनुदान प्रदान करने की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है। इसकी शुरुआत लोहड़ी पर्व से होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार 101 करोड़ रुपए की धनराशि से ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष’ स्थापित करेगी, ताकि जरूरतमंद बच्चों एवं निराश्रित महिलाओं को उच्च शिक्षा प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कालेजों, आईआईआईटी, एनआईटी, आईआईटी, आईआईएम, पॉलिटेक्नीक संस्थानों, नर्सिंग और डिग्री कालेजों में ऐसे बच्चों की उच्च शिक्षा और व्यावसायिक कौशल विकास शिक्षा पर होने वाले व्यय को प्रदेश सरकार वहन करेगी। इनको आवश्यकता के अनुसार जेब खर्च के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि ये बच्चे सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि यह कोई करुणा नहीं, बल्कि उनका प्रदेश सरकार पर अधिकार है।
सीए बोले, दोस्त से मिली सेवा की प्रेरणा
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि उन्हें अनाथ बच्चों के लिए काम करने की प्रेरणा उनके खुद के बचपन से मिली है। उन्होंने कहा कि जब वह कालेज में पढ़ते थे, तो उनके साथ उनके एक मित्र भी थे, जो आश्रम में रहते थे। हर त्योहार के मौके पर सभी मित्र मिलजुल अपने परिवार के साथ जश्न मनाते थे, लेकिन उनके पास उनका कोई अपना नहीं था। जब उन्हें मुख्यमंत्री अपने घर चलने के लिए कहते, तो वह उनसे कहते थे कि उनके 40 और साथी आश्रम में हैं। उसी समय से मन में यह भाव था कि कभी अवसर मिला, तो अनाथ या बेसहारा बच्चों के लिए कदम उठाऊंगा। इसी कड़ी में सुखाश्रय कोष की स्थापना की है।
सीधे जरूरतमंद के खाते में आएगी मदद
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस कोष से सहायता प्राप्त करना सरकारी बंधनों से मुक्त होगा और इनसे कोई आय प्रमाणपत्र भी नहीं लिया जाएगा। साधारण आवेदन पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संपूर्ण सहायता त्वरित रूप से सीधे लाभार्थी के खाते में दी जाएगी। दानी सज्जनों और कंपनियों आदि से सीएसआर के अंतर्गत आर्थिक सहायता लेने के भी प्रयास किए जाएंगे, ताकि देखभाल एवं संरक्षण वाले सभी कमजोर वर्गों को सरकार की ओर से अच्छी और उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं दी जा सकें। इसके अलावा, विधायकों से भी इस कोष के लिए आर्थिक सहायता ली जाएगी।