आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने अडानी कंपनी द्वारा बंद की गई एसीसी और अंबुजा सीमेंट फैक्टरियों से जुड़े मामले में सुनवाई तीन मार्च के लिए टल गई। हाई कोर्ट में 16 जनवरी से 26 फरवरी तक शीतकालीन अवकाश के कारण मामले की सुनवाई मार्च के पहले सप्ताह में रखी गई है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाई कोर्ट ने अडानी कंपनी और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
प्रार्थी ने इन कंपनियों को फिर से खोलने के निर्देशों की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सभी प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि सभी पक्षकारों में बातचीत से हल निकालने को लेकर वार्ता चल रही है और आशा प्रकट की है कि शीघ्र ही कोई सकारात्मक परिणाम निकल जायेगा और सारी स्थितियां सामान्य हो जाएगी। दोनों उद्योगोंं में सीधे तौर पर 7500 के करीब ट्रांसपोर्टर्स जुड़े हैं। प्रार्थी ने यह भी मांग की है कि यदि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो प्रभावितों को पूर्व में सूचना दी जाए।
अडानी के पैसे लौटाने के केस पर
मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटने से जुड़े मामले पर सुनवाई तीन मार्च को होगी। सरकार ने प्रदेश हाई कोर्ट को बताया कि 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि को नौ फीसदी ब्याज सहित मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड को वापस करने से जुड़े मसले पर अडानी ग्रुप से बातचीत कर कोई हल निकालने की कोशिश की जा रही है ताकि प्रदेश सरकार को कोई आर्थिक नुकसान न हो। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सरकार और अडानी ग्रुप द्वारा एक-दूसरे के विरूद्ध दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि वापस करने के आदेश दिए थे। सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी। अत: सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी।