हिमाचल: सीमेंट प्लांट बंद करने पर गौतम अडानी को नोटिस, पूछा- तालाबंदी से रोजगार खतरे में क्यों डाला? 

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। हिमाचल में स्थित दो सीमेंट उद्योगों एसीसी और अंबुजा को अचानक बंद करने पर देश के नामी उद्योगपति गौतम अडानी को सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने नोटिस दे दिया है। यह नोटिस श्रम विभाग के बजाय उद्योग विभाग की तरफ से दिया गया है। इसमें अडानी से पूछा गया है कि अचानक तालाबंदी कर कंपनी ने हजारों कामगारों के रोजगार को खतरे में डाला है। क्यों न सीमेंट उद्योगों के खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करे? इस कार्रवाई को करने से पहले मुख्य सचिव ने अपने संबंधित विभागों उद्योग, श्रम, सिविल सप्लाई और परिवहन के साथ बैठक की और कंपनी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की सारी संभावनाएं देखीं। मुख्य सचिव के स्तर पर ही अडानी के साथ वार्ता का भी एक चैनल खोला गया है, क्योंकि जिलाधीशों के स्तर पर कंपनी और ट्रांसपोर्ट यूनियन के बीच जारी लड़ाई सुलझती हुई नहीं दिख रही है।

अडानी कंपनी की ओर से राज्य सरकार से अब गुजरात से प्रबंधन के बड़े अधिकारी बात कर रहे हैं। इससे पहले अंबुजा और एसीसी उद्योगों में तैनात अधिकारियों के पास फैसला लेने का अधिकार नहीं था। राज्य सरकार ने कंपनी को यह भी आश्वस्त किया है कि उनकी ओर से उठाए गए मसलों को हल किया जाएगा, लेकिन अचानक तालाबंदी इस विवाद का हल नहीं है। अब संबंधित जिलों के उपायुक्तों को दूसरी बैठक कर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच राज्य सरकार ने सीमेंट कंपनियों को रेगुलेट करने वाले अपने चार विभागों से पूछा है कि इस पूरे विवाद में उनकी क्या राय है? यदि विवाद नहीं सुलझा, तो सीमेंट कंपनी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। गौरतलब है कि दो रोज पहले मालभाड़े की विभाग को आगे बढ़ता देख अडानी कंपनी ने अपने स्वामित्व वाली दो सीमेंट उद्योग में एसीसी अंबुजा में अचानक तालाबंदी कर दी थी। इसके बाद पहले राउंड की बातचीत जिलाधीशों की अध्यक्षता में हुई थी। लेकिन इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है। अब दो स्तर पर बातचीत के चैनल खुले हैं। एक स्तर पर जिलाधीश ट्रक यूनियनों और सीमेंट कंपनी के बीच वार्ता कर रहे हैं और दूसरे स्तर पर मुख्य सचिव सीधे सीमेंट कंपनी के प्रबंधन से बात कर रहे हैं।

अडानी को दिए नोटिस में कहा गया है कि कंपनी ने प्लांट बंद करने का फैसला जिला प्रशासन और अन्य स्टेकहोल्डर से बात किए बिना लिया है, जिससे काफी लोग प्रभावित हुए हैं। कंपनी ने यह फैसला लेने से पहले लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को भी ध्यान में नहीं रखा। इसलिए यह बताया जाए कि राज्य के राजस्व, परिवहन, उद्योग और श्रम विभागों से संबंधित कानूनों के तहत कंपनी पर प्रशासनिक कार्यवाही क्यों न की जाए?

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