आवाज ए हिमाचल
20 दिसंबर।हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को धर्मार्थ संस्थाओं के लिए 30 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने का विधेयक पारित हो गया। भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 पर पहले सदन में चर्चा हुई, जिस पर विपक्ष ने कहा कि इसे पारित करते समय जल्दबाजी न की जाए। राधास्वामी सत्संग संस्था की मदद होनी चाहिए, मगर इस विधेयक को विचार-विमर्श के लिए पहले विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए।दोनों पक्षों की नोकझोंक के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस संशोधन विधेयक के पारित होने और इसके कानून बनने के बाद राधास्वामी सत्संग ब्यास भोटा अस्पताल और इसकी जमीन को जगत सिंह सेवा ट्रस्ट को हस्तांतरित कर सकेगा।
एकमुश्त छूट सिर्फ 30 एकड़ तक ही मिलेगी
संशोधित बिल के मुताबिक राधा स्वामी सत्संग ब्यास भोटा धर्मार्थ अस्पताल 30 एकड़ भूमि हस्तांतरित कर सकेगा। इसमें धर्मार्थ कार्य करने वाली संस्थाओं को भूमि हस्तांतरण के लिए एक बार छूट देने का प्रावधान किया गया है। छूट का लाभ लेने के बाद धर्मार्थ कार्य न करने वाली संस्थाओं की जमीन सरकार को वापस होगी। एकमुश्त छूट सिर्फ 30 एकड़ तक ही मिलेगी।
‘सिलेक्ट कमेटी को बिल भेजा जाए‘
भाजपा ने मौखिक तौर पर संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं किया। वहीं, विधायक रणधीर शर्मा कहा कि हम राधा स्वामी सत्संग ब्यास को जमीन देने के पक्ष में हैं, लेकिन इस संशोधन के दुरुपयोग की आशंका है, इसलिए सिलेक्ट कमेटी को यह बिल भेजा जाए। विधेयक पारित होने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायक दल का आभार जताया।
विपक्ष हर चीज में टांग खींच रहा : जगत
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि विपक्ष हर चीज में टांग खींच रहा है। विपक्ष कह रहा है कि करो भी और नहीं भी करो। विपक्ष को एक बात करनी चाहिए। नेगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मदद करना चाहते थे और कर नहीं पाए। भाजपा के समय में 2002 में एक अधिसूचना करके भी इसी तरह की राहत दी। अवहेलना और दुरुपयोग तो उस समय भी हुआ। उन्होंने कहा कि 30 एकड़ तक जमीन के हस्तांतरण में केवल एक बार की छूट दे रहे हैं। वह भी धार्मिक, आध्यात्मिक और चैरिटी से जुड़े कार्यों के लिए दी जा रही है।बता दें कि हिमाचल में धार्मिक संस्थाओं लोगों ने सैकड़ों बीघा जमीन दान कर रखी है। लैंड सीलिंग एक्ट की धारा-5 के खंड (झ) के तहत धार्मिक संस्था जमीन न बेच सकती है न किसी के नाम ट्रांसफर कर सकती है। ऐसा करने पर यह जमीन सरकार में वेस्ट (निहित) हो जाती थी। मगर सरकार ने आज इसमें छूट देने का फैसला लिया है।