आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल में अब जूनियर बेसिक टीचर यानी जेबीटी के पदों पर बैचलर ऑफ एजुकेशन यानी बीएड नियुक्त नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट में जेबीटी टीचर लंबी लड़ाई जीत गए हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व किया हुआ अपना फैसला सुनाया, जिसमें एनसीटीई द्वारा 2018 में जारी किए गए निर्देशों को भी खारिज कर दिया गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला राजस्थान से गया था। हिमाचल सरकार ने भी इसमें अपना हलफनामा दायर किया था। इस हलफनामे में भी राज्य सरकार ने जेबीटी टीचर्स का ही पक्ष लिया था, लेकिन हिमाचल हाई कोर्ट के एक आर्डर के कारण बैचवाइज भर्ती में बीएड पास अभ्यर्थियों को ले लिया गया था। हालांकि इनके अप्वाइंटमेंट ऑर्डर सब्जेक्ट टू फाइनल आउटकम ऑफ सुप्रीम कोर्ट केस किए गए थे। अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद इन टीचर्स को नौकरी से हटाना होगा।
करीब 156 बीएड शिक्षकों की नियुक्ति अब तक जेबीटी के पदों पर हुई है। इसके साथ ही राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड को भी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट के रूल बदलने होंगे। यह झगड़ा 2018 में एनसीटीई द्वारा जारी उन निर्देशों के कारण हुआ, जिसमें प्राइमरी टीचर पोस्ट के लिए बीएड कैंडिडेट को भी पात्र बता दिया गया था। राजस्थान हाई कोर्ट ने इन निर्देशों को बीटीसी यानी जेबीटी का पक्ष लेते हुए खारिज कर दिया था। फिर बीएड कैंडिडेट इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने देवेश शर्मा बनाम भारत सरकार एसएलपी 20743 केस में अंतिम फैसला सुनाया है।