आवाज ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल में आगामी एक साल के बाद स्टांप पेपर नजर नहीं आएंगे। राज्य ई-स्टांप प्रणाली से स्टाम्प पेपर की बिक्री सुनिश्चित करने जा रही है। राज्य के अधिकृत स्टाम्प विक्रेताओं को एक वर्ष में भौतिक ई-स्टांप पेपर से ई-स्टांप प्रणाली अपनाने की समय सीमा तय की गई है। ई-स्टांपिंग प्रणाली को पूर्ण रूप से अपनाने से राज्य के राजस्व में भौतिक स्टांप पेपरों की छपाई पर प्रतिवर्ष खर्च हो रहे 30 से 50 करोड़ रुपए की भी बचत होगी। प्रदेश सरकार ने भौतिक स्टाम्प पेपरों की छपाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने और ई-मोड के माध्यम से ही स्टांप ड्यूटी एकत्रित करने का निर्णय लिया है। एक वर्ष की इस अवधि के दौरान फिलहाल दोनों प्रणालियां चलन में रहेंगी। पहले से छपे स्टांप पेपर का उपयोग करने के लिए विक्रेताओं को पहली अप्रैल से 31 मार्च तक एक वर्ष का समय दिया है। इसके उपरांत पूर्ण रूप से केवल ई-स्टाम्प का ही इस्तेमाल किया जाएगा। प्रदेश सरकार ई-स्टांप पेपर के लिए स्टांप विक्रेताओं को अधिकृत एकत्रीकरण केंद्रों के रूप में अधिकृत किया जाएगा।
उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए सेंट्रल रिकार्ड कीपिंग एजेंसी स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के पोर्टल पर ई-स्टांप तैयार किए जा सकेंगे। स्टांप विक्रेता को न्यूनतम कमीशन अदा कर इस पोर्टल के माध्यम से ई-स्टांप तैयार करने के लिए अधिकृत किया जाएगा।
वर्तमान में स्टांप विक्रेताओं के लिए स्टांप पेपर विक्रय की अधिकतम सीमा 20 हजार रुपए प्रतिदिन है और ई-स्टांप प्रणाली अपनाने से यह सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपए प्रतिदिन हो जाएगी। इससे स्टांप वेंडर भी लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद सिंह सुक्खू का कहना है कि प्रदेश में ई-स्टांप प्रणाली वैसे तो वर्ष 2011 में शुरू की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब इस ई-मोड को पूर्णत: अपनाने का निर्णय लिया है।