हिमाचल में गर्मियों से पहले ही आई बरसात, मई में फरवरी महीने जैसी ठंड

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। हिमाचल प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से बारिश का दौर जारी है और आने वाले एक हफ्ते में भी यह दौर जारी रहने वाला है। मई महीने में जहां हिमाचल प्रदेश में गर्मियों का प्रकोप चरम पर होता हैं, वहीं इस बार मई में मौसम लगभग बरसात की तरह हो गया है। लगातार मूसलाधार बारिश से लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। रोहतांग दर्रा पर मंगलवार को ताजा हिमपात हुआ, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, बिगड़ैल मौसम बीआरओ की मार्ग बहाली में रोड़ा बन रहा है। अभी गुलाबा तक ही वाहनों को जाने की अनुमति है। इससे आगे मार्ग बहाली का कार्य चला हुआ है। लाहुल-स्पीति जिला की ऊंची चोटियों पर भी ताजा बर्फबारी हुई है, वहीं निचले क्षेत्रों में बारिश का दौर जारी रहा। जिला कुल्लू के कई कच्ची सडक़ेें वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो गई हैं। उधर सात मीन व क्वारी में भू-स्खलन के चलते कुल्लू-मंडी एनएच 11 घंटे तक बंद रहा। मंगलवार को राजधानी शिमला व अन्य भागों में झमाझम बारिश जारी रही। राजधानी में बारिश के साथ धुंध छाई हुई है। तापमान गिरने से मई में भी फरवरी के मौसम का अहसास हो रहा है।

वहीं ऊंची चोटियों पर रुक-रुककर बर्फबारी हो रही है। मौसम के बदले मिजाज से तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, लद्दाख की जांस्कर घाटी को जोडऩे वाला दारचा-शिंकुला-जांस्कर मार्ग ताजा बर्फबारी से बंद हो गया है। रुक-रुक हो रही बर्फबारी से कुल्लू और लाहुल की ऊंची चोटियां सफेद हो गई हैं। निचले इलाकों में बारिश का दौर जारी रहने से आम लोगों के साथ पर्यटकों व बागबानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लगातार बारिश के कारण तापमान भी गिर गया है।इससे प्रदेश में ठंड का मौसम लौट आया है।

शिमला में न्यूनतम तापमान 8.6, सुंदरनगर 14.6, भुंतर 13.3, कल्पा 6.0, धर्मशाला 12.2, ऊना 15.4, नाहन 14.1, केलांग 3.1, पालमपुर 11.5, सोलन 10.7, मनाली 7.8, कांगड़ा 16.0, मंडी 15.1, बिलासपुर 17.5, हमीरपुर 16.7, चंबा 15.8, डलहौली 8.6, जुब्बड़हट्टी 11.7, कुफरी 6.4, कुकुमसेरी 5.7, नारकंडा 4.9, भरमौर 12.0, रिकांगपिओ 9.5, सेऊबाग 11.6, धौलाकुआं 18.0 , बरठी 17.1, मशोबरा 8.1, पांवटा साहिब 18.0, सराहन 10.0 और देहरागोपीपुर में 16.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सिरमौर जिले में बारिश से खेतों में कटी हुई गेहूं की फसल भीग गई है। गेहूं की थ्रेशिंग भी रुक गई है। मैदानी क्षेत्रों में भारी बारिश से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। किसानों के अनुसार लगातार बारिश से मंडियों में उपज पहुंचने में देरी होगी। नमी से गेहूं के सडऩे का भी खतरा पैदा हो गया है।

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