आवाज़ ए हिमाचल
ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन से जुटाई गई संपति को अब सरकार की तरफ से अटैच किया जाएगा। अटैच की गई इस संपति को जुर्माना राशि अदा नहीं करने की स्थिति में नीलाम करके राशि को वसूला जाएगा।
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के आदेश के बाद सरकार की तरफ से इस आशय संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं। प्रॉपर्टी को अटैच करने के लिए संबंधित एस.डी.एम. अवैध खनन करने वाले को नोटिस जारी करेगा, जिसके बाद आगामी कार्रवाई को अमल में लाया जाएगा।
एन.जी.टी. ने इसके लिए विभाग को अलग से राज्य स्तरीय नोडल अकाऊंट भी खोलने के आदेश भी जारी किए हैं। अकाऊंट में जुर्माने से वसूली गई राशि को जमा किया जाएगा। जमा की गई यह राशि विभाग की तरफ से संबंधित क्षेत्र में अवैध खनन के दौरान पर्यावरण को पहुंचे नुक्सान की भरपाई के लिए खर्च किया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए संबंधित एस.डी.एम. की तरफ से बी.डी.ओ., पी.डब्ल्यू.डी. हिमाचल प्रदेश राज्य उद्योग विकास निगम और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर प्लान तैयार किया जाएगा। एन.जी.टी. की तरफ से जारी किए गए इन आदेशों की यदि कोई विभागीय अधिकारी अवहेलना करता है, तो उसकी एन.जी.टी. के प्रति जवाबदेही होगी।
अवैध खनन के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले वाहनों के जुर्माने की श्रेणी भी एन.जी.टी. ने तय की है। इसके तहत जिन वाहनों की कीमत शोरूम में 25 लाख तक की है और जिनको प्रयोग में लाए हुए 5 साल से कम समय हुआ है, उनसे 4 लाख तक का जुर्माना वसूला जाएगा। इसी तरह जिन वाहनों की कीमत 25 लाख रुपए है और उन्हें 10 साल का समय हो गया है, उनसे 3 लाख जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही 10 साल पुराने वाहनों को प्रयोग में लाए जाने पर वाहन चालकों से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना वसूले जाने का प्रावधान है।
इन अधिकारियों को किया गया अधिकृत
अवैध खनन की गतिविधियों को रोकने के लिए एन.जी.टी. ने कई विभागों के अधिकारियों को अधिकृत किया है। इसमें एस.पी. के अलावा जिला खनन अधिकारी, वन विभाग, जल शक्ति विभाग, लोक निर्माण विभाग, उद्योग विकास निगम, उप निदेशक उद्योग व ब्लॉक डिवैल्पमैंट अधिकारी शामिल हैं, जो जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करेंगे।