आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 7 मार्च। हिमाचल प्रदेश के शहरी गरीब बेरोजगार युवाओं को अब मनरेगा की तर्ज पर रोजगार मिलेगा। प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना को कानून बनाने जा रही है। इस विधेयक का ड्राफ्ट बिल सोमवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधेयक बजट सत्र में लाया जाएगा। इस विधेयक में युवाओं को 120 दिन का रोजगार देने की बात कही गई है। यह रोजगार 15 दिन के भीतर दिया जाना अनिवार्य होगा। अगर युवाओं को रोजगार नहीं मिलता है तो सरकार की ओर से उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि शहर के गरीब लोगों को रोजगार की गारंटी देने का बिल इसी सत्र में लाया जाएगा। मनरेगा की तर्ज पर सरकार शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार की गारंटी देगी।
अभी मनरेगा के तहत दिहाड़ी 300 रुपये है, जिसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बजट भाषण में 50 रुपये और बढ़ाने की घोषणा की है। अप्रैल से बढ़ी हुई दिहाड़ी 350 रुपये लागू हो जाएगी। शहरी विकास विभाग की ओर से इसके नियम और शर्तें तैयार की जा रही हैं। शहरी गरीबों को रोजगार गारंटी योजना पर प्रदेश सरकार 5 करोड़ रुकी राशि व्यय करेगी। सूबे के शहरी निकायों में अभी 6200 युवाओं ने अपना पंजीकरण कराया है। इसमें से कई को रोजगार भी दिया गया है, लेकिन कानून न होने से बेरोजगार युवाओं और शहरी विकास विभाग को भी दिक्कतें आ रही थीं। शहरी विकास विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया कि नियम कानून बनाए जाने से युवाओं को फायदा होगा।
प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते हजारों युवा बेरोजगार हो गए थे। दुकानें और वर्कशाप बंद रहने से लोगों की आजीविका खत्म हो गई थी। ऐसे में सरकार ने इस योजना को लागू कर युवाओं को रोजगार देने का फैसला लिया था। अब सरकार की ओर से इसे कानून बनाया जा रहा है।