आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब कंस्ट्रक्शन ऑडिट के बाद ही सरकारी भवनों और सड़कों का निर्माण होगा। वीरवार को प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सीमेंट, सरिया सहित अन्य निर्माण सामग्री के पहले रेट देखे जाएंगे, फिर डीपीआर बनाई जाएगी। दस करोड़ से बन रही डीपीआर अंत तक बढ़कर 15 से 20 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अपना निजी घर बनाने में न तो इतना पैसा लगता है और न ही समय। सरकारी कार्यों में देरी होने से निर्माण लागत दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है। बीते पांच वर्ष में यह होता आया है। अब ऐसा नहीं होगा। भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान मंडी कॉलेज में टेंडर के बीच फ्रेम स्ट्रक्चर को बदलने का मामला उठाया।
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने निर्माण के लिए 26 करोड़ दिए थे। अब फ्रेम स्ट्रक्चर बदलने से खर्च 40 करोड़ तक पहुंच गया है। 14 करोड़ रुपये की और जरूरत है। यह धन कब मिलेगा। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मंडी कॉलेज में प्रदेश भर में सबसे अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। पैसा जारी नहीं होने से भवन का काम अब रुक गया है। कैंपस के बीच में यह बंद स्ट्रक्चर बुरा लग रहा है।
जवाब में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जयराम ठाकुर स्वयं मुख्यमंत्री रहे हैं। प्रदेश आर्थिक हालात से गुजर रहा है। हम विधायक निधि भी नहीं दे सके हैं। पूर्व सरकार ने धड़ाधड़ नए संस्थान खोले। प्रदेश में 23 कॉलेजों को खोलने से अच्छा होता कि पहले मंडी कॉलेज का काम पूरा करवाते। मुख्यमंत्री ने कहा कि धन की उपलब्धता होने पर धीरे-धीरे मंडी सहित अन्य कॉलेजों को पैसा जारी किया जाएगा।