आवाज़ ए हिमाचल
1 मार्च। हिमाचल प्रदेश में प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति में अब नया विवाद फंस गया है। नर्सरी और केजी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नियुक्ति देने के लिए सरकार पर काफी ज्यादा दबाव है। दूसरी तरफ नर्सरी टीचर ट्रेनिंग और डीएलएड वाले भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति के लिए एनसीटीई यानी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के नियम आड़े आ रहे हैं। नियमों के तहत नियुक्ति के लिए एनटीटी या डीएलएड डिप्लोमा व डिग्री होनी जरूरी है। ज्यादातर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास यह डिप्लोमा नहीं है। इस कारण विभाग यह तय ही नहीं कर पा रहा है कि भर्ती एवं पद्दोन्नति नियम (आरएंडपी रूल्स) में किस कैटेगरी को रखें व किसे न रखें।
इसको लेकर राज्य सचिवालय से लेकर शिक्षा निदेशालय तक कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। प्री प्राइमरी के लिए 3840 शिक्षकों की नियुक्तियां होनी है। विभाग चाहता है कि नियमों के तहत ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो और कोई विवाद न हो। सूत्रों की माने तो राज्य सरकार ऐसे में अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने को फिलहाल तैयार नहीं है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ मार्च में प्रस्तावित प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक का विभाग को इंतजार है। केंद्र ने नई शिक्षा नीति के तहत प्री प्राइमरी सभी राज्यों के लिए अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र पीएबी की बैठक में भर्ती को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी करेगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एनटीटी कई बार मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के समक्ष अपनी मांगों को रख चुके हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि तीन साल की आयु के बच्चों को प्री प्राइमरी में दाखिला देने के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में काम नहीं रहेगा। इतने वर्षों तक ये वर्कर्स ही छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम करते रहे हैं ऐसे में इन्हें ही पढ़ाने की जिम्मेवारी स्कूलों में दी जाए। दूसरी तरफ नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कर नौकरी के इंतजार में बैठे हजारों लोग उन्हें नियुक्ति देने की मांग कर रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस मांग को लेकर 9 मार्च को विधानसभा के बाहर प्रदर्शन भी करेंगी।