हिमाचल: न मंत्र, न फेरे, संविधान को साक्षी मान इक-दूजे के हुए दूल्हा-दुल्हन

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आवाज़ ए हिमाचल 

नाहन। हिंदू धर्म की शादियों में देखा होगा कि पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं। दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेते हैं लेकिन मंगलवार को एक विवाह ऐसा भी हुआ, जो चर्चा का विषय बन गया। इस शादी में दूल्हा-दुल्हन ने संविधान को साक्षी माना और परिणय सूत्र में बंध गए। ये अनोखी शादी सिरमौर जिले की डोबरी सालवाला पंचायत के सालवाला गांव में वधू पक्ष के घर पर संपन्न हुई।

दरअसल पोका पंचायत के धमौन गांव से ताल्लुक रखने वाले प्रवेश भारत नाम के युवक का विवाह सालवाला गांव की निशा के साथ हुआ। हिमुडा नाहन में बतौर क्लर्क कार्यरत प्रवेश भारत की बारात सालवाला की रहने वाली निशा के घर गई। विवाह की खास बात यह रही है कि इस शादी में पंडित को शामिल नहीं किया गया। न ही हिंदू रीति-रिवाज के तहत दूल्हा-दुल्हन ने फेरे लिए बल्कि संविधान निर्माता डाॅ. भीम राव अंबेदकर की तस्वीर व संविधान की पुस्तक को साक्षी मानकर एक-दूसरे को वर माला पहनाई और परिणय सूत्र में बंध गए।

दूल्हे प्रवेश भारत के अनुसार इस तरह के विवाह के लिए उसे अपने और लड़की के परिवार को मनाने में थोड़ी बहुत मशक्कत जरूर करनी पड़ी लेकिन निश्चित रूप से वे दोनों पक्षों को मनाने में कामयाब रहे। दूल्हे के मामा भीम सिंह ने बताया कि इस विवाह में पूरे गाजे-बाजे के साथ बारात गई और वधू पक्ष की तरफ से भी पूरी आव भगत की गई लेकिन दूल्हा-दूल्हन ने न तो फेरे लिए और न ही किसी पंडित को इस विवाह में शामिल किया, संविधान को साक्षी मानकर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा। एक-दूसरे को वर माला पहनाई और दोनों परिणय सूत्र में बंध गए। इसके बाद दुल्हन लेकर बारात वापस लौट आई।

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