मुख्य सचिव को जारी किया नोटिस, पंचायत प्रधान ने जाली बीपीएल प्रमाण पत्र जारी कर बेटे को दिलवाई थी टीजीटी की नौकरी
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। बीपीएल प्रमाणपत्र के आधार पर गलत तरीके से प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (TGT) पद पर पाई नियुक्ति को प्रदेश हाईकोर्ट ने रद करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने गुरदास राम की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्णय सुनाया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार पंचायत नांगल चौक के प्रधान ने अपने कार्यकाल में अपने पुत्र के लिए फर्जी बीपीएल प्रमाणपत्र जारी करवाया। इसके आधार पर वह टीजीटी के पद पर शिक्षा विभाग में 29 सितंबर, 2017 को नौकरी हासिल करने में कामयाब हो गया।
प्रार्थी की ओर से निदेशक शिक्षा विभाग को शिकायत भेजी गई थी कि निजी तौर पर बनाए प्रतिवादी का नाम गलत तरीके से बीपीएल परिवार में दर्ज कर लिया गया है, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसने उपमंडलीय दंडाधिकारी देहरा, जिला कांगड़ा के समक्ष प्रमाणपत्र रद करने बाबत केस भी किया, मगर कोई कार्रवाई न किए जाने की स्थिति में याचिका दाखिल की। न्यायालय ने यह पाया कि प्रतिवादी के पक्ष में जारी किया गया बीपीएल प्रमाणपत्र फर्जी है, जिस कारण वह टीजीटी के पद पर सेवा करने का हक नहीं रखता है। कोर्ट ने निदेशक शिक्षा विभाग को आदेश जारी किया कि प्रतिवादी के टीजीटी के पद पर जारी नियुक्ति को रद कर दिया जाए।
प्रदेश हाईकोर्ट ने धर्मशाला में बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए उचित कदम न उठाने पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। विधि की पढ़ाई करने वाले छात्र बक्शदीप ने धर्मशाला में बेसहारा पशुओं के आतंक का आरोप लगाया है। मुख्य न्यायाधीश एए सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। याचिका में प्रधान सचिव पशुपालन, उपायुक्त कांगड़ा और नगर निगम धर्मशाला को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका में आरोप लगाया है कि नगर निगम धर्मशाला बेसहारा पशुओं का रख-रखाव करने में विफल रही है। गौशाला या स्थायी ठिकाना न होने के कारण पशु सड़क पर घूम रहे हैं। धर्मशाला में अब तक कोई गौशाला नहीं बनाई है। ये पशु कूड़े के ढेरों पर ही निर्भर हैं। हाल ही में बेसहारा बैल ने स्थानीय निवासी राजेंद्र पर हमला कर दिया था। गंभीर चोटें आने की वजह से अब भी अस्पताल में भर्ती है। आरोप लगाया है कि 2014 में पारित हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सरकार को प्रदेशभर की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने और उनके लिए गौशाला आदि बनाने का आदेश दिया था।