आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की वेबसाइट पर भी जाति आधारित भेदभाव की शिकायतें दर्ज हो सकेंगी। यूजीसी के निर्देशानुसार उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर विशेष लिंक तैयार करने को पत्र भेजा है। इस प्रकार के मामले संज्ञान में आते ही शिक्षण संस्थान प्रमुखों को कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जाति, वर्ग के आधार पर विद्यार्थियों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाए।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो. मनीष जोशी की ओर से सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा है कि शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों और शिक्षकों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों के साथ किसी तरह का भेदभाव करने से बचना चाहिए। विश्वविद्यालय, संस्थान, कॉलेज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के खिलाफ जाति आधारित भेदभाव से जुड़ीं शिकायतें दर्ज कराने के लिए अपनी वेबसाइट में एक पेज तैयार कर व्यवस्था कर सकते हैं। उच्च शिक्षण संस्थान रजिस्ट्रार और प्राचार्य के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने के लिए एक रजिस्टर रखें। आयोग ने कहा है कि अधिकारियों के संज्ञान में अगर ऐसी कोई घटना आती है तब तत्परता से गलती करने वाले कर्मी, शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
विश्वविद्यालयों और उसके घटकों, संबद्ध कॉलेजों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई अधिकारी, शिक्षक संकाय किसी समुदाय या श्रेणी के छात्रों के साथ भेदभाव नहीं करे। यूजीसी ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों, शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मियों से प्राप्त भेदभाव की शिकायतों को देखने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए। इस समिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित सदस्य शामिल किए जाएं। आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों को सुझाव दिया है कि जाति आधारित भेदभाव की घटनाओं से निपटने के लिए विश्वविद्यालयों, संस्थानों के अधिकारियों, शिक्षकों को अधिक संवेदनशील होना चाहिए।