आवाज ए हिमाचल
13 फरवरी।हिमाचल में चालू वित्तीय वर्ष में कौशल विकास योजना के तहत 44 हजार लोगों को प्रशिक्षण के साथ बेरोजगारी भत्ता दिया गया। प्रदेश सरकार ने इस अवधि में 20.49 करोड़ रुपये कौशल विकास पर खर्चे हैं। कांगड़ा जिले में सबसे अधिक 10 हजार से ज्यादा लोगों का कौशल विकास हुआ है, जबकि जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति में सबसे कम 23 लोगों ने प्रशिक्षण और भत्ता लिया।
यह भत्ता अधिकतम दो साल की अवधि के लिए दिया जा रहा है। इस बीच अगर किसी की नौकरी लगती है तो भत्ता तत्काल बंद कर दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश श्रम एवं रोजगार विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश सरकार योजना के तहत कौशल विकास के तहत एक हजार रुपये प्रति माह भत्ता प्रदान कर रही है। यदि व्यक्ति 50 फीसदी से अधिक दिव्यांग है तो उसे सरकार प्रति माह 1500 रुपये भत्ते के रूप में दे रही है। भत्ते का लाभ उठाने के लिए प्रार्थी का आठवीं पास होना अनिवार्य है। मिस्त्री, तरखान, लोहार और प्लंबिंग आदि का प्रशिक्षण लेने के लिए कौशल विकास भत्ता दिया जा रहा है।
योजना का लाभ उठाने के लिए प्रार्थी का नाम रोजगार कार्यालय में एक साल पहले पंजीकृत होना जरूरी है। योजना का लाभ उठाने वाले की उम्र 16 से 36 साल के बीच होनी चाहिए। अगर कोई विधवा है तो उसे इस योजना का लाभ 45 साल की उम्र तक मिलता है। स्वरोजगार लाभार्थी, मनरेगा कामगार, सरकारी नौकरी से निष्कासित, 48 घंटे से ज्यादा सजा काटे अपराधी इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। योजना का लाभ उठाने के लिए परिवार की आय दो लाख से अधिक भी नहीं होनी चाहिए।